अपराध उत्तर प्रदेश दृष्टिकोण

अपनी मनमानी और अतिरिक्त सुविधाओं की मांग पूरी होने में बाधक ईमानदार अधिकारीयों को अपनी सत्ता में पहुँच के दम पर कुख्यात अपराधी किस तरह साजिश रच निलंबित तक करा सकते है इसका जीता जागता प्रमाण है अभी हाल ही में राय बरेली जेल की घटना

(रीना त्रिपाठी)

कुख्यात अपराधी   से समझौता ना करने पर सजा दिलाने की धमकी को साकार करती उत्तर प्रदेश सरकार

          रायबरेली !  जेल मैन्युअल  के इतर जेल बंदियों की अवैध मुलाकात कराने पर रोक से शुरू सिलसिला रायबरेली जेल के कार्यरत सभी अधिकारियों की बर्खास्तगी पर जाकर रुका…… मुलाकात में बंदियों से उनके परिवार के तीन सदस्य मिल सकते हैं पर जब कुछ उम्र कैद के अपराधी यह चाहते थे कि उन्हें पांच से छह लोगों से मुलाकात करवाई जाए और इस सुविधा के लिए उन्होंने निचले स्तर पर सेटिंग भी कर ली पर जब इसकी जानकारी जेल प्रशासन को हुई तो उन्होंने सुविधा देने वाले सिपाही को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और मुलाकात के नियम का कड़ाई से पालन कराना शुरू किया,  जिससे कुख्यात  अपराधी  और उनके साथी डिप्टी जेलर को जान से मरवाने की धमकी देने लगे खुलेआम  मॉर्निंग वॉक पर जाने पर वापस ना आने की धमकी  जारी हुई, इसके बावजूद किसी भी तरह का समझौता जब जेल अधिकारियों ने नहीं किया तो कुख्यात अपराधी अंशु दीक्षित ने उन्हें देख लेने की धमकी दी और इसी देख लेने के क्रम में वीडियो बनाकर वायरल करने का सिलसिला शुरू हुआ|
          जिसमें उनका सहयोग जेल विभाग में कार्यरत हैं कैंटीन इंचार्ज सिपाही विजय ने कि निश्चित रूप से उसने भी इस तरह की सहायता जरूरी नहीं है किसी आर्थिक लालच में की हो क्योंकि इन अपराधियों के पास बहुत ही आसान तरीका होता है जान से मार देने की धमकी देना या उनके परिवार वालों को परेशान  करने की धमकी या अन्य किसी तरह की ब्लैकमेलिंग की धमकी के साथ इन छोटे कर्मचारियों से कुछ भी करा लेना कुख्यात अपराधियों के लिए बहुत ही आसान बात है बीते कुछ वर्षों की  घटना  आप सबको बनारस और लखनऊ के केस देखे ही हैं ,जहां दिनदहाड़े जेल अधिकारियों की हत्या कर दी गई|  इन छोटे सिपाहियों की क्या औकात है….. जब जेल डिप्टी जेलर ने इसकी सूचना अपने उच्च अधिकारियों को दी पूरी घटना  और समझौते के दबाव का तुरंत संज्ञान लेते हुए जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने रायबरेली में एफ आई आर दर्ज करा कर, इन कुख्यात अपराधियों को अलग-अलग जेल में स्थानांतरित कराने की कार्यवाही शुरू की  ताकि जेल के अंदर किसी भी प्रकार के अपराधिक कृत्य को रोका जा सके|
           इस पूरी कार्यवाही का उद्देश्य जेल में सुरक्षा व्यवस्था कायम करना तथा जेल प्रशासन पर  समझौते के दबाव खत्म करना  तथा मानसिक शोषण को कुछ कम करना था| निश्चित रूप से अगर इन धमकियों और समझौते में जेल अधिकारी आते तो शायद यह खेल चलता ही नहीं और  जेल प्रशासन के अधिकारी    आज अपनी नौकरी कर रहे होते और सस्पेंड होने की नौबत ना आती |
           यह सोचने का विषय है कि अगर यह खेल हमेशा से चल रहा था तो यह अधिकारी इसके पहले क्यों नहीं दंडित किए गए ..निश्चित रूप से ऐसा नहीं रहा ,अपराधियों को उनकी सुविधा अनुसार चीजें ना मुहैया कराने पर पूरी तरह खुलेआम धमकी देने वाले कुख्यात अपराधी सरकार में अच्छी पकड़ रखते हैं और शायद इसी का नतीजा है कि जिन लोगों ने  एन केन प्रकारेण इस प्रकार के कृत्यों को नाटकीय तरीके से बनाकर वायरल किया उन्हें कोई सजा नहीं मिली और ना ही किसी जांच कमेटी ने जानने की कोशिश की कि अपराधी होने के बावजूद, वह जेल के अंदर पुनः एक अपराधिक तंत्र को बढ़ावा क्यों दे रहे थे और वह क्यों खुलेआम अधिकारियों और सिपाहियों को खरीदने और उनके ऊपर मानसिक दबाव डालने का षड्यंत्र रच रहे थे…… क्या यह सब ना करना ऐसे अपराधियों को शह देना नहीं है……….         . जब जेल अधिकारियों  ने षड्यंत्र करने वाले कुख्यात अपराधियों को रायबरेली जेल से अन्य जेल में स्थानांतरित किया ,उसके बाद ही कई चरण में तलाशी हुई पर किसी भी अन्याय पूर्ण गतिविधि की जानकारी नहीं मिली|          पूर्व नियोजित की गई साजिश में आज बिल्कुल स्पष्ट है कि प्रायोजित तरीके से जब अपराधी समझौता करने में सफल नहीं होते हैं, तो वह इस तरह के षड्यंत्र और सरकार में अपनी पकड़ को जग जाहिर करते हैं
            ….. प्रश्न उठना वाजिब है कि अगर जेल के अंदर  रिकॉर्डिंग हो रही थी, तो वहां कार्यरत वार्डन क्या कर रहा था ??? निश्चित रूप से वह किसी धमकी यह दबाव में मूक दर्शक हो गया, जो अपराधी दिनदहाड़े किसी की भी हत्या करवा सकते हैं उनके लिए एक निरीह और छोटे कर्मचारी को धमका देना कोई कठिन कार्य नहीं है ,हो सकता है किसी भी दबाव के कारण वह कार्यरत सिपाही वीडियो बनते देखता रहा और आगे शिकायत नहीं कर सका|
              आज समाज में बहुत ही गहन चिंतन का विषय है कि जो सामाजिक अपराधी अपने द्वारा कृत अपराध की सजा लेने के लिए जेल भेजे गए हैं, वह उस आपराधिक मानसिकता को क्या छोड़ पाए????? निश्चित रूप से नहीं……. इसी अपराधिक मानसिकता के तहत इतना बड़ा षड्यंत्र किया गया|
              सोचने की बात यह है कि जब इन अपराधियों को एक जेल से दूसरे जेल में दंडात्मक कार्रवाई करते हुए भेज दिया गया या एक षड्यंत्र के अड्डे को अलग कर दिया गया तो फिर उन अधिकारियों पर कार्यवाही इतनी आनन-फानन क्यों की गई???? बिना उच्च स्तरीय जांच के उन्हें सस्पेंड कर दिया गया …शायद इससे उन अधिकारियों का हौसला पस्त होगा जो इमानदारी से काम करते हैं और अपने पीछे होने वाली अनियमितता की जब जानकारी होती है तो तुरंत कार्यवाही करते हैं, जान और माल की धमकी होने के बावजूद इमानदारी से किए गए उनकी उचित कार्यवाही की सजा सरकार उन्हें सस्पेंड कर के देती है ..वाकई बहुत ही चिंतनीय विषय है ………………..   अपराधियों की    इच्छा अनुसार उत्तर प्रदेश शासन अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश रातों रात जारी करती है तो एक भी  एफ आई आर या कोई भी दंडात्मक कार्रवाई उन कुख्यात अपराधियों के खिलाफ क्यों नहीं की जाती जो खुलेआम अधिकारियों को धमकी देते हैं| कल्पना करिए अगर आज कुछ हादसा हो जाता ,कोई अधिकारी इन अपराधियों के हाथों षड्यंत्र का शिकार होता तो शायद सरकार और उसके प्रशासन के कुछ लोग फूल माला चढ़ाकर मृतक आश्रितों को नौकरी देकर सारी बात खत्म कर देते पर यह अन्याय पूर्ण सिलसिला कब तक जारी रहेगा यह सोचने की बात है| विचार करें, कब तक हम अपने अपनी जान को हथेली में रखकर कार्य करने वाले, उन कर्मचारियों और अधिकारियों को जो न्याय पूर्ण कार्य करते हैं, सजा देते रहेंगे और उनका हौसला तोड़ते रहेंगे???
                इस पूरी घटना से कहीं ना कहीं समाज को यह संदेश जाता है कि अगर हमारे आसपास कुछ अन्याय पूर्ण हो रहा है ,समझौते से कुछ काम चल रहा है तो क्यों ना हम भी इस भ्रष्टाचार के तंत्र में हाथ धो लें….. क्यों ईमानदारी पूर्ण कार्यवाही करें|                  इस पूरी घटना से व्यवस्था में लापरवाही और व्यवस्था को बिगाड़ने वाले विकृत मानसिकता वाले अपराधियों को सजा क्यों नहीं दी जाती उल्टा उनकी धमकी को प्रश्रय दिया जाता है कि देख लेंगे  और वह  सस्पेंशन के आदेश के द्वारा यह सिद्ध करते हैं उन्होंने देख लिया  और दिखा भी दिया कि उनकी पहुंच कितने ऊपर तक है |कुख्यात बंदियों  के हौसले किसके प्रश्रय पर इतने बुलंद है  यह सोचने की बात है ….उनके द्वारा धमकी देने के दो दिन बाद ही ही क्यों जेल के पूरे प्रशासनिक अधिकारियों को बर्खास्त करने की नोटिस सरकार जारी करती है यह भी विचारणीय प्रश्न है?????? लोकतंत्र में कहीं न कहीं अपराधियों का बोलबाला है और इसके सामने हमारी प्रशासनिक व्यवस्था पंगु और  मूकदर्शक बन कर रह गई है बंदियों को किसका प्रोत्साहन प्राप्त है क्या यह सोचने की बात नहीं है???????

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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