लोकदल कार्यकर्ताओं में उपजा भ्रम, कार्यक्रम में भागीदारी हुई अनिश्चित
राष्ट्ीय नेतृत्व के सामने रखी जायेगी बात- लोकदल जिलाध्यक्ष सिद्धदेव सिंह
गोण्डा। आगामी लोकसभा निर्वाचन में विपक्षियों द्वारा बनाये गये महागठबंधन का हिस्सा प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा राष्ट्ीय लोकदल हैं, चुनावों में अभी काफी समय बाकी है परन्तु गठबंधन के बडे भाई की भूमिका निभा रहे समाजवादी पार्टी नेताओं ने अपने छोटे भाईयों का सम्मान करना अभी से ही बन्द कर दिया है। समाजवादी पार्टी के नेताओ द्वारा अपनाये जा रहे रवैये से जहां जनता के बीच कई प्रश्न उठ खडे हुए है वहीं छोटे भाई की भूमिका निभा रहे पार्टी के नेता ने अपने राष्ट्ीय नेतृत्व के समझ बात उठाने की बात कही है।
प्रदेश में गठबंधन के तहत चुनाव लड रहे गोण्डा की सीट पर समाजवादी पार्टी नेता विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह को टिकट सौंपा गया है, तैयारियों के मददेनजर आगामी 31 जनवरी को गठंबधन के कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन आयोजित किया गया है, कार्यकर्ताओं को आमंत्रित करने के लिए विभिन्न माध्यमो के अतिरिक्त व्हाटसएपप गु्रप का भी प्रयोग किया गया है। समाजवादी नेता पंडित सिंह के भतीजे सूरज सिंह ने कार्यक्रताओं को भेजे गये निमंत्रण में पंडित ंिसंह को मात्र सपा बसपा प्रत्याशी बताते हुए कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया है। निमंत्रण में राष्ट्ीय लोकदल का नाम न होने से जहंा लोकदल कार्यकर्ताओं और आम जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गयी है वहीं लोकदल नेताओं में आकंोश भी दिखाई दे रहा है। राष्ट्ीय लोकदल के जिलाध्यक्ष सिद्वदेव सिंह से इस सम्बंध में हुयी वार्ता में उन्होनें निमंत्रण के विषय पर जानकारी से अवगत होने की बात बताते हुए कहा कि इस सम्बंध में समाजवादी नेता से जानकारी चाही गयी है परन्तु उन्होेने अभी तक जानकारी देने की जहमत नहीं उठाई है फिलहाल समाजवादी पार्टी की इस हरकत पर लोकदल के राष्ट्ीय नेत्त्व के समझ बात रखी जायेगी ओैर फिर वहां से जो भी निर्देश मिलेगा उसी के अनुसार सहयोग किया जायेगा।
वहीं इस विषय पर कि क्या गठंबंधन से राष्ट्ीय लोकदल अलग हो गया है, समाजवादी नेता सूरज ंिसंह से भी जानकारी चाही गयी है परन्तु समाचार लिखे जाने तक कोई उत्तर नहीं प्राप्त हो पाया था।
समाजवादी नेताओं की राष्ट्ीय लोकदल की इस उपेक्षा से जहां कार्यकताओं में असंतोष व्याप्त हो रहा है वहीं यह बात भी खुल कर सामने आ गयी है कि जब चुनावों से पहले ही अपने छोटे भाईयों के प्रति समाजवादी पार्टी का यह रूख है तो फिर आम चुनावों के बाद वे लोकदल नेताओं और कार्यकर्ताओं को कितनी इज्जत बख्शेगें आसानी से समझा जा सकता है।