गोण्डा ! छोटे मोटे कर्मचारियों और अधिकारीयों पर तो भ्रस्टाचार के आरोप लगते ही रहते है और वे समय समय पर सही भी साबित होते रहे है, परन्तु उपजिलाधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे अधिकारी पर भ्रस्टाचार जैसे गंभीर आरोप जरूर चौकाते हैं, पीड़ित की माने तो एस डी एम् सदर नितिन गौड़ ने आरोपी पोलिस कर्मी से अनुचित लाभ ले उसके खिलाफ चल रही जांच को दबा दिया है !
जी हाँ हम बात कर रहे है एस.डी .एम.सदर गोंडा नितिन गौड़ की जिनपर शिकायत कर्ता पंकज दीक्षित ने भ्रस्टाचार जैसा गंभीर आरोप लगाते हुए बताया है कि उसने फरवरी २०१९ में जिलाधिकारी गोंडा के समक्ष पूर्व में तैनात रहे एस.एच.ओ मोतीगण्ज गोरखनाथ सरोज कें विरुध्द प्रशानिक अनियमितताओं एंव कर्तव्यो का सह़ी से पालन ना किए जाने तथा उच्च न्यायालय कें आदेशों की अवहेलना किए जाने समन्धित आरोपो की मजिस्ट्रेट जांच कराये जाने समन्धित शिकायती प्रार्थना पत्र प्रस्तुत क़िया था , जिसमे जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी मनकापुर क़ो जांच करकें 15 दिवस में आख्या उपलब्ध कराये जाने समन्धित आदेश पारित क़िया था जिसे बाद में उपजिलाधिकारी सदर गोंडा क़ो स्थानांतरित कर दी गयी थी परन्तु उपजिलाधिकारी सदर नितिन गौड़ ने बिना शिकायकर्ता से सम्पर्क किए बगैर फ़र्जी तरीके से मामलें का निस्तारण कर दिया जबकि पुलिस अधिनियम में निहित प्रावधानों कें अंतर्गत शिकायती पत्र जिलाधिकारी क़ो दिया गया था जिसमे कानूनन पुलिस कान्सटेबिल रैंक से ऊपर कें अधिकारियो कें आरोपो की जांच प्रथम श्रेणी कें मजिस्ट्रेट द्वारा किए जाने का प्रावधान है । इतना ही नही उपजिलाधिकारी गोंडा सदर क़ो उक्त कें समंध में पुलिस अधिनियम में निहित व्यवस्था क़ो भी दिखाया भी लेकिन उसके बाद भी उन्होंने अपने दायित्वों और कर्तव्य को निभाना उचित नहीं समझा ।
क्या हैं पीड़ित के नितिन गौड़ पर आरोप
पीड़ित का उपजिलाधिकारी सदर पर आरोप है की उन्होंने मामलें क़ो फ़र्जी तरीके से यह कहकर निस्तारित कर दिया कि मामला पुलिस विभाग से संबधित है जबकि पुलिस अधिनियम में निहित प्रावधानों कें अंतर्गत शिकायती प्रार्थना पत्र पर जिलाधिकारी गोंडा द्वारा उपजिलाधिकारी गोंडा सदर क़ो जांच हेतु आदेशित क़िया था परन्तु तत्कालीन जिलाधिकारी श्री श्रीवास्तव कें स्थानांतरण होते ही मामले क़ो निस्तारित दिखा फ़ाइल क़ो दबा दिया,
पीड़ित ने बताया की उक्त कें सम्बन्ध में मैं उपजिलाधिकारी सदर नितिन गौड़ से 20 बार मिल चुका हूँ लेकिन अब तक उक्त प्रकरण कें बारे में कुछ भी बताने से इनकार करते चले आ रहे है अभी तक चुनाव का हवाला देकर मामलें क़ो दबाने का प्रयास कर रहे थे तो वही उनका स्टोनो आर ए यादव फ़ाइल ढूढ़ने कें लिए खर्चे की मांग कर रहा है , अदायगी ना करने पर प्रतिलिपि व जानकारी देने से यह कहकर स्पष्ट मना कर दे रहा है की साहब ने प्रतिलिपि व जानकारी देने से मना रखा है । उक्त शिकायत जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज कागजात है जिसका शिकायत संख्या 20018319001966 है । यह समझ से बाहर का विषय है की कानून में व्यवस्था होने कें बाद भी अब तक कोई कार्यवाही नही की गयी, मै आश्वस्त हूँ की अनुचित लाभ लेकर पत्रावली क़ो दबाया गया है ।