उत्तर प्रदेश लाइफस्टाइल

धारा 370 समाप्ति की उठी जोरदार मांग, लखनऊ की सड़कों पर निकला रैली का रेला

Written by Reena Tripathi

डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर धारा 370 समाप्त करने एवं कश्मीरी पण्डितों के पुनःर्वास की मांग हेतु लखनऊ में निकाली गयी प्रभात रैली

 

 

लखनऊ ! भारतीय नागरिक परिषद एवं भारत समृद्धि के बैनर तले आज लखनऊ के नागरिकों ने प्रभात रैली निकालकर धारा-370 समाप्त करनें एवं कश्मीरी पण्डितों के कश्मीर में पुर्नवास की जोरदार मांग की। प्रभारत रैली में कश्मीरी पण्डितों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।


प्रभात रैली प्रातः 07 बजे सिविल अस्पताल स्थित डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी प्रतिमा से प्रारम्भ होकर जी.पी.ओ. स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा तक आई, जहां एक सभा में प्रस्ताव पारित कर यह मांग की गयी कि धारा 370 समाप्त की जाये और कश्मीरी पण्डितों का पुर्नवास किया जाये यही सही मायने में डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

प्रभात रैली का नेतृत्व भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री, संस्थापक न्यासी रमाकान्त दुबे, वरिष्ठ पदाधिकारी एच एन पाण्डेय, महामंत्री रीना त्रिपाठी, भारत समृद्धि के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे, महामंत्री धीरज उपाध्याय, कश्मीरी पण्डितों के पनुन कश्मीर के अध्यक्षन रवि काचरू एवं अनेक गणमान्य नागरिकों ने किया।

जी.पी.ओ. पर हुई सभा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि आजादी मिलने के बाद से अब तक धारा 370 भारतीय राजनीति का सबसे विवादित पक्ष है और कश्मीर घाटी की बदहाली का सबसे बड़ा कारण धारा 370 ही रही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या को वहां रह रहे हिन्दुओं की सुरक्षा और विस्थापित पण्डितों की समस्या को देखे बिना नहीं समझा जा सकता। उन्होंने कहा कि धारा 370 के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है जिसके कारण देश के सभी प्रान्तों में लागू होने वाले कानून इस राज्य में लागू नहीं होते। भारत सरकार केवल रक्षा, विदेश, वित्त और संचार जैसे चार मामलों में ही दखल दे सकती है। राज्य की नागरिकता, सम्पत्ति का मालिकाना हक तथा और सभी मौलिक अधिकार धारा 370 के चलते राज्य के अधिकार में आते हैं। जम्मू कश्मीर में देश के दूसरे राज्य का नागरिक सम्पत्ति नहीं खरीद सकता, जबकि जम्मू कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है एक जम्मू कश्मीर की दूसरी भारत की। इसी विशेष अधिकार की आड़ में विगत 72 वर्षों से कश्मीर घाटी में अलगाववाद पोषित हो रहा है। उन्होंने कहा कि अलगाववाद और आतंकवाद पर निर्णायक प्रहार हेतु सबसे पहले धारा 370 समाप्त किया जाना, समय की महती आवश्यकता है।

सभा में उपस्थित कश्मीरी पण्डितों ने 1989 के बाद सुनियोजित ठंग से लगभग सभी कश्मीरी पण्डितों को कश्मीर से बाहर खदेड़े जाने की व्यथा सुनाई। उनका कहना था कि राजनीतिक दलों के लिए विस्थापित पण्डित इसलिए महत्वपूर्ण नहीं हैं क्योंकि वे अपने संख्या बल के आधार पर देश की राजनीति में जय-पराजय का परिणाम देने वाला हस्तक्षेप नहीं कर पाते किन्तु कश्मीर समस्या कश्मीरी पण्डितों की समस्याओं से जुड़े अनुत्तरित सवालों का हल खोजे बिना सम्भव नहीं है।

सभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि जम्मू कश्मीर के भारत में विलय को लेकर प्रजा परिषद द्वारा जो आन्दोलन 1947 से 1953 तक चलाया गया और अन्ततः 1953 में कश्मीर को भारत का अखण्ड हिस्सा बनाये रखने की मांग को लेकर डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जो बलिदान दिया, उसके प्रति तत्कालीन सरकारों की उपेक्षा का ही परिणाम वर्तमान आतंकवाद है और इसकी जड़ में धारा 370 है। वास्तव में धारा 370 के तहत जम्मू कश्मीर को जिस प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं उसमें आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है। अतः केन्द्र सरकार को तत्काल धारा 370 को समाप्त कर कश्मीरी पण्डितों के पुनर्वास की ठोस पहल करनी चाहिए।

About the author

Reena Tripathi

(Reporter)

aplikasitogel.xyz hasiltogel.xyz paitogel.xyz
%d bloggers like this: