अज़ब ग़ज़ब अपराध उत्तर प्रदेश गोंडा

आखिर आरोपियों की पहचान क्यों छुपा रही है गोण्डा पुलिस, एसपी आर के नययर ने रखी एक नयी परम्परा

गुडवर्क लिस्ट को लम्बी करने की हडबडी तो नही है यह नयी परम्परा

या कहीं भ्रष्टाचार का पोषण तो नहीें कर रही गोण्डा पुलिस

आरोपियों की खामोशी भी कह रही कुछ और कहानी

गोण्डा। अगस्त माह के दूसरे सम्ताह मेें जनपद के वजीरगंज थाना क्षेत्र के एक ग्राम सभा के बैकं मित्र से लाखों की हुयी लूट का खुलासा तो आज जनपद पुलिस ने कर दिया परन्तु आरोपियों के नाम और उनके निवास स्थान का खुलासा न कर जहां नवागत पुलिस अधीक्षक आर के नययर ने एक नयी परम्परा का उदघाटन किया वहंीं लोगों के मन में कई सवालों को भी पैदा कर दिया।
गुरूवार को पुलिस अधीक्षक आर के नययर ने आयोजित पत्रकारा वार्ता में विगत 13 अगस्त 2019 को जनपद के थाना वजीरगंज के नगवां गावं अन्र्तगत कार्यरत बैंक मित्र सुमित कुमार तिवारी पुत्र केशरी कुमार तिवारी को गोली मार कर किये गये 380000 रूप्ये की लूट के दो अभियुक्तों को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया। एसपी ने अपनी और अपनी टीम की इस कामयाबी का बखान तो बहुत किया परन्तु जब मीडिया कर्मियों द्वारा उनसे यह सवाल पूछा गया कि आरोपियों की पहचान जैसे उनका नाम और पते को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है तो उन्होंनें यह कहकर अपनी कार्यवाही का सही साबित करने की कोशिश की कि आगे की विवेचना के लिए इनके नाम और पते को गोपनीय रखा गया है।

यहां यह भी बताना आवश्यक है कि आज से पहले गोण्डा पुलिस द्वारा कभी भी इस तरह मीडिया के सामने लाये आरोपियों के नाम और पते को गोपनीय नही रखा गया, आखिर क्या कारण है कि नवागत एसपी आर के नययर को इस तरह की एक नयी परम्परा की नीव रखना पडा। मीडिया कर्मियों के बीच चल रही चर्चाओं की ही बात करें तो कई बातें सामने आयी जिसमें प्रमुख तो यह रहा कि कही जनपद पुलिस के नवागत आला अधिकारी अपने गुडवर्क को दिखाने की जल्दबाजी में किसी को भी आरोपी बनाकर मामले का खुलासा किया गया दिखाना चाहते हो, और अंधेरे में ही हाथ पैर मार रही गोण्डा पुलिस आज किसी और को आरोपी तो कल किसी और को आरोपी बनाने का खेल खेल रही हो।

चर्चा तो इस बात की रही कि अपनी कार्यशैली के मशहूर पुलिस यह खेल इस लिए खेल रही हो कि उसे इस तरह से गिरफतारी में धनउगाही में सहूलियत रहती हो। चल रही चर्चाओं को और बल उस समय मिला जब आम तौर पर मीडिया द्वारा पूछे जाने पर आरोपी अपनी बात को मीडिया के सामने रखने का प्रयास करते है लेकिन इस मामले में आरोपियों जैसे स्वयं ही मीडिया के सामने कुछ न बोलने की कमस खा रखी हो जबकि लगभग पन्द्रह मिनट तक कई मीडिया कर्मी आरोपियों के सामने कैमरे लिए दौडते रहे और उनसे कुछ बोलने की बात कहते रहे लेकिन आरोपियों ने अपनी जुबान तक नहीे खोली।

आरोपियों की इस खामोशी से भी इस बात की आशंका बलवती होती है कि कहीं पुलिस ने गुडवर्क दिखाने की जल्दी में अपने ही आदमियों को आरोपी बना अपनी पीठ अपने ही हाथों थपथपाने का प्रयास कर रही हो।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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