उत्तर प्रदेश लाइफस्टाइल

शीर्ष प्रबंधन पर किया जाए विद्युत इंजीनियरों को तैनात, इंजीनियर डे पर उठी मांग

Written by Vaarta Desk

लखनऊ ! इन्जीनियर्स डे पर बिजली इन्जीनियरों ने ऊर्जा क्षेत्र के  शीर्ष प्रबंधन में बिजली इंजीनियरों को तैनात किये जाने की मांग की : इंजीनियरिंग कमीशन गठित किया जाए और सही नीति निर्धारण हेतु प्रमुख सचिव पद पर भी अभियंता रखे जाएँ

एम् विश्वेश्वरैय्या के 159 वें जन्म दिन पर देश भर में अभियन्ता दिवस (Engineers Day) मना रहे बिजली अभियंताओं ने प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ से मांग की है कि ऊर्जा क्षेत्र के  शीर्ष प्रबंधन में बिजली इंजीनियरों को तैनात किया जाए और तकनीकी दृष्टिकोण से  सही नीति निर्धारण हेतु प्रमुख सचिव पद पर भी योग्य व् अनुभवी अभियंता रखे जाएँ | इंजीनियरों को सेवाओं में समुचित स्टेटस देने हेतु अभियंताओं ने इंजीनियरिंग कमीशन गठित करने की मांग की है |

ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने आज यहाँ कहा कि एम् विशेवशरैय्या के जन्म दिन पर इन्जीनियर्स डे मनाया जाना मात्र रस्म अदायगी न रहे इस हेतु जरूरी है कि प्रदेश में ऊर्जा सहित सभी इंजीनियरिंग विभागों के शीर्ष पदों पर और प्रमुख सचिव पद पर अभियंताओं को तैनात कर उन्हें सही सम्मान दिया जाये जिससे इंजीनियरिंग विभाग बिना किसी ब्यूरोक्रेटिक हस्तक्षेप के सही ढंग से तकनीकी कार्य सम्पादित कर सकें | इंजीनियरिंग सेवाओं के मान सम्मान के स्तर को परिभाषित करने और इंजीनियरिंग विभागों के सही संचालन हेतु राइट मैन ऑन राइट प्लेस सुनिश्चित करना नितांत आवश्यक है |

समय की मांग है कि इस हेतु शीघ्रातिशीघ्र इंजीनियरिंग कमीशन का गठन किया जाए | केंद्र सरकार इंजीनियरिंग कमीशन का गठन करे जिसका चेयरमैन देश के किसी लब्ध प्रतिष्ठित इंजीनियर को बनाया जाये और कमीशन का मेंबर सेक्रेटरी किसी सेवारत इंजीनियर को नियुक्त किया जाए | कमीशन के सदस्य योग्य इंजिनियर बनाये जाएँ | इंजीनियरिंग कमीशन की अनुशंसा के आधार पर केंद्र व् राज्य सरकारें अभियंताओं का स्टेटस, वेतनमान आदि निर्धारित करें | सबसे ख़ास बात यह कि इंजीनियरिंग विभागों में अभियंताओं को नीति नियंता माना जाये और निर्णय लेने के सर्वोच्च पदों पर सरकार में तैनात किया जाए |

उन्होंने कहा कि विश्व भर में तीव्र गति से हो रहे तकनीकी विकास व् बदलाव को देखते हुए इंजीनीयरिंग विभागों  को आई ए एस अधिकारियों के भरोसे चलाया जाना संभव नहीं है | उन्होंने कहा कि खासकर बिजली के क्षेत्र में इतनी अधिक तकनीकी जटिलताएं बढ़ती जा रही हैं कि उन्हें समझ पाना आई ए एस के वश की बात नहीं है अतः बिना और कोई समय गँवाए मुख्यमंत्री जी को तत्काल कार्यवाही कर विशेषज्ञ अभियंताओं को तैनात करना चाहिए |

उन्होंने कहा कि 1973 से वर्ष 2000 तक उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत् परिषद् के अध्यक्ष पद पर विशेषज्ञ बिजली इंजीनियर तैनात किये जाते थे और अधिकांशतया प्रमुख सचिव पद पर भी इंजीनियर ही रहते थे , तब प्रदेश का विद्युत् विभाग देश के श्रेष्ठतम बिजली बोर्डों में गिना जाता था | इसी अवधि में उप्र को देश में सबसे पहले 400 केवी और 765 केवी पारेषण उपकेंद्र और लाइन का डिजाइन ,निर्माण और संचालन  करने , 100 मेगावाट और 200 मेगावाट की तापीय इकाइयों के डिजाइन , निर्माण और संचालन करने तथा डाकपत्थर  में देश के सबसे पहले भूगर्भ जल विद्युत् गृह का डिजाइन ,निर्माण और संचालन करने का गौरव प्राप्त हुआ है |

तकनीकी विशेषज्ञों की सलाह के विपरीत वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत् परिषद् को विघटित कर निगमीकरण कर दिया गया और सभी बिजली निगमों में आई ए एस अधिकारी तैनात कर दिए गए परिणामस्वरूप बिजली वितरण का घाटा बढ़ कर 85000 करोड़ रु तक पहुँच गया है और बिजली निगम आर्थिक तौर  पर कंगाल होते जा रहे हैं | इस दौरान दर्जनों आई ए एस अधिकारी आये और चले गए किन्तु हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं |

अभियंता पदाधिकारियों ने कहा कि हालात और खराब हों इससे पहले सरकार को सार्थक पहल कर बिजली निगमों में योग्य बिजली इंजीनियरों को सी एम् डी और प्रमुख सचिव पद पर तत्काल नियुक्त किया जाये |

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