दिल्ली राष्ट्रीय शिक्षा

दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित हुई “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 : संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ”

वर्तमान शिक्षा नीति की बताई गई खामियां

दिल्ली ! दिल्ली विश्वविद्यालय के ग्वेयर हॉल में छात्रसंघ द्वारा “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 : संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ” पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा (पूर्व अध्यक्ष डुटा), डॉ. राजेश झा (कार्यकारी सदस्य दिल्ली विश्वविद्यालय) एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के ड्राफ्टिंग में कंसल्टेंट रहे डॉ सज्जाद अहमद ने अपने विचार व्यक्त किए।

डॉ. आदित्य नारायण मिश्रा ने इस नीति को “उद्योगपति घरानों के हाथों शिक्षा का स्थानांतरण करने का दस्तावेज कहा है।” उन्होंने आगे कहा कि “भारत के 90% लोगों को शिक्षा से वंचित रखने का यह साजिश है, जिसे हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। उनकी इस शिक्षा नीति, जिसमें वे कहते है कि अगर आपके पास पैसा है तो शिक्षा ग्रहण कीजिए, इस दस्तावेज को खारिज़ करता हूँ।” वे इस शिक्षा नीति को खारिज़ करते हुए कहते है “हम नहीं चाहेंगे कि हमारा छात्र किसी मॉल में टाई पहन कर कपड़ा बेचें, बल्कि हम चाहेंगे कि हमारा छात्र यह सोचें कि बेहतर कपड़ा कैसे बनाया जा सकता है”।

अगले वक्ता के रूप में विवि के एग्जीक्यूटिव मेंबर राजेश कुमार झा ने भी कहा कि यह राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति, 2019 की प्रारूप, जो सरकार को सौंपी गई है, यह शिक्षा को बाजारीकरण करने का एक खाका है। जिसका हमें विरोध करना चाहिए। आगे वे कहते है कि इस नई शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका को ख़त्म कर दिया गया है। शिक्षा बजट दिन-ब-दिन कम होते जा रही है। विश्वविद्यालयों में शोध करने की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

डॉ सज्जाद अहमद ने विभिन्न डाटा को प्रस्तुत कर शिक्षा, शिक्षक एवं बजट पर चर्चा की साथ ही उन्होंने उन तमाम पहलूओं पर चर्चा की जिसको राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल किया गया है। स्वागत वक्तव्य के दौरान छात्रावास के आर.टी. डॉ के.एन. तिवारी ने शिक्षा पर गाँधी के विचारों को रेखांकित किया अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए ग्वायर हॉल छात्रसंघ अध्यक्ष संदीप शर्मा ने भी विश्वविद्यालयों में हो रहे गेस्ट नियुक्तियों की खामियों एवं एम.फिल. पाठ्यक्रम को हटाये जाने से संबंधित सरकारी प्रयास पर बात रखी।

कार्यक्रम में प्रो. कृष्ण लाल, डॉ इम्तियाज अहमद एवं डुटा उपाध्यक्ष अलोक रंजन पांडे के साथ कई प्रोफेसर मौजूद रहे। आलोक रंजन पांडे ने कहा कि यह शिक्षा नीति उच्च वर्ग के लिए है इसमें आम जनों के लिए लिए नहीं है। पूरे कार्यक्रम में भारी संख्या में श्रोताओं की उपस्थिति रही।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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