महाराष्ट्र राजनीति

महाराष्ट्र चुनाव:- क्या भाजपा की नजर मे उत्तरभारतीय मात्र वोट बैंक

Written by Vaarta Desk

महाराष्ट्र के चुनाव हेतु घोषित 125 उम्मीदवारों की सूची देखकर उत्तर भारतीय समाज के प्रति भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र नेताओं के विचार स्पष्टता मे दिखाई दिए और यह भी साबित हो गया कि भाजपा की नजर मे दलित समाज के जैसे ही उत्तर भारतीय समाज को सिर्फ भीड़ एकत्रित करने और वोट बैंक के रूप में ही देखना पसंद हैं ।

विदित हो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आज यदि मुख्यमंत्री के रूप में ५ वर्ष सफलतापूर्वक पूरा कर सके हैं तो उसमें उत्तर भारतीय समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है परंपरागत कांग्रेसी कहे जाने वाले उत्तर भारतीय समाज के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को उस समय सहयोग और साथ दिया जब 25 वर्षों से ज्यादा भाजपा के सहयोगी रही शिवसेना २०१४ के विधानसभा चुनाव मे अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करके भाजपा को बडे संकट मे डाला था और सदैव दूसरे नंबर की पार्टी बनी रहने वाली भारतीय जनता पार्टी ने संकट के समय उत्तर भारतीय समाज की तरफ आशा से देखा तो उत्तर भारतीय समाज ने राष्ट्र निर्माण के नाम पर अपने परंपरागत हितैषी समझे जाने वाली कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी को तन मन धन से साथ देकर महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार विधानसभा के सदन पर सबसे बड़ी पार्टी के रूप मे स्थान दिलाने मे महती भूमिका निभाई जिसके परिणाम स्वरूप देवेंद्र फडणवीस की सरकार बनी परंतु यह तो सरकार बनने के समय ही दिखाई दे दिया था जब उत्तरभारतीय समाज जिस हक का हकदार था वह सरकार की भागीदारी में नहीं मिला और सिर्फ एक महिला उत्तरभारतीय नेता को राज्यमंत्री बना के सीमित कर दिया।

सर्वविदित है आज ३० से ज्यादा विधानसभा में उत्तरभारतीय समाज निर्णायक वोट बैंक है और महाराष्ट्र के ५० सीटों पर (मुंबई पालघर थाने नासिक पुणे औरंगाबाद सहित ) हार जीत मे मुख्य भूमिका मे रहेगा । उत्तर भारतीय समाज ने भारतीय जनता पार्टी को शिवसेना के द्वारा दी हुई दूसरी चुनौती मुंबई महानगरपालिका में स्वीकारते हुए भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बनाकर महानगरपालिका में सम्मान दिलाया। आज उत्तर भारतीय मोर्चा के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के सबसे कट्टर समर्थक उत्तर भारतीय समाज ने भाजपा को दिया है परंतु जब हक देने का समय आया तो भाजपा (महाराष्ट्र ) ने बहुत ही संकुचित विचारधारा दिखाया है जिसे स्वीकार करना समाज के लिए कष्ट देय है ।

देखा गया है उत्तरभारतीय समाज जिस सम्मान का हकदार है उसको देने में महाराष्ट्र के भारतीय जनता पार्टी के नेता सदैव संकुचित विचारधारा रखते हैं जिसे स्वीकार करते रहने से उत्तरभारतीय समाज का विकास अवरोधक बनेगा । उत्तरभारतीय समाज को मन से यह सोचना पड़ेगा कि कहीं राजनीतिक पार्टियां उत्तर भारतीय समाज के विकास को ही बढ़ने से तो रोकना नहीं चाहती है और यदि यह विचार सत्यता की तरफ बढ़े तो हमे अपने भविष्य के लिए क्यों ना एक उत्तरभारतीय समाज के नाम पर क्षेत्रीय पार्टी का गठन करके इन राष्ट्रीय पार्टियों को जवाब दे और अपने स्तीत्व पर खड़े होकर समाज को मजबूती प्रदान करे। आज उत्तरभारतीय समाज पूर्णत: आत्मनिर्भर हो चुका है और अपने सम्मान के लिए आगे आने मे सक्षम है ।

अत्यंत दुख होता है कि हमारे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या जी मुंबई के सहप्रभारी बनकर उत्तर प्रदेश की जनता के प्रति सरकार की ज़िम्मेदारी छोडकर मुंबई की सैर सपाटा कर रहे हैं और उत्तर भारतीय के नाम पर एक चेहरा बनकर मुंबई में उत्तरभारतीयों को बरगलाने का काम कर रहे हैं।सूचना के अनुसार कई कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेश के जिलेवार यहां आना सुनिश्चित हो गया है और आकर अपने अपने जिले के लोगों को वरगलाने का कार्य करेंगे और परिणाम यह होगा कि हम पुन: उन लोगो के लिए कार्य करेंगे जिनको हमारी अहमियत ही नही करनी है ।क्या केशव प्रसाद मौर्या जी बतायेंगे की हमारा मूल्याँकन किस पैमाने पर आकते हुए टिकट बँटवारे मे हमारी अपेक्षाएँ दर किनार कर दी गयी ।

विचार करे कही हमारी चाटुकारिता करने की निती ही तो हमारे ख़िलाफ़ नही चली गयी और उत्तरभारतीय नेताओं की जय जयकार करने की आदत मे तो समस्त जनभावना को ही तो नही कुचल दिया गया। हम किस असफलता के डर मे है जो हमे अपनी ताकत दिखाने से रोक रही है इस पर गहन विचार करके अपने स्वाभाविक हक के लिए खड़ा होना चाहिये क्योकि यदि समय रहते हम अपना मूल्याँकन करने मे संकोच करेंगे तो समय गुज़र जाने के बाद पश्चाताप के सिवाय कुछ नही कर सकेंगे ।


आर पी सिंह
संपादक
आज का कर्मवीर क्षत्रिय

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