उत्तर प्रदेश लाइफस्टाइल

प्लास्टिक कैरी बैग को प्रतिबंधित करने से उत्तर प्रदेश हो रहा है स्वच्छ और स्वस्थ

Written by Vaarta Desk

भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘‘स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत’’ का नारा दिया है। इस नारे को साकार करने के लिए देश के सभी नागरिकों का यह दायित्व है कि वे अपने शहर मुहल्ले, गली, सड़क, नाली, पार्क, सार्वजनिक स्थल, गांवों आदि को स्वच्छ रखें, गन्दा न करें। स्वच्छ रखने के लिए पहली जिम्मेदारी है कि वे स्वयं घरों के अपशिष्ट कूड़ा-करकट सूखा और गीला कूड़ादान में ही फेंके। बाजार से विभिन्न घरेलू खाद्य-पदार्थ सब्जियां आदि प्लास्टिक बैग, पन्नी में न लाकर कपड़े, जूट के बैग में लायें। प्लास्टिक बैग का उपयोग स्वयं कतई न करें। जब शहरी और ग्रामीण लोग स्वयं प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे तो गांव या नगर के किसी नाली-नाले में पानी का बहाव नहीं रूकेगा और नालियों-नालों में जल के बहाव से स्वच्छता बनी रहेगी जिससे पर्यावरण और मानव स्वस्थ रहेगा। स्वच्छता के लिए यह जरूरी है कि प्रत्येक नागरिक में चेतना जागृत हो और वह गांव, नगर, मुहल्ले, जिला, प्रदेश, देश को स्वच्छ रखने में सहभागी बने।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महात्मा गांधी के 150वीं जयन्ती के अवसर पर प्रदेश के सभी विभागों के लोगों को प्लास्टिक व थर्माकोल की बनी प्लेट, चम्मच, गिलास, कप प्रयोग न करने, नदियों, तालाबों, झीलों आदि में प्लास्टिक के थैले आदि न फेंकने, सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करने की शपथ दिलाते हुए पर्यावरण संरक्षण में सहयोग देने हेतु कहा है।

प्लास्टिक की थैलियों को उत्तर प्रदेश में विनिर्माण, आयात, भण्डारण, विक्रय, ढुलाई व प्रयोग पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाकर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण तथा स्थानीय परिवेश पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को रोकने का बड़ा ही महत्वपूर्ण कार्य किया है। प्लास्टिक की थैलियों को लोग लापरवाही से इधर-उधर फेंक देते हैं और वे थैलियां नालों, नालियों, गटरों, मल निकास प्रणाली, सड़कों के किनारे, कूड़ेदानों, सार्वजनिक स्थलों आदि में जाकर पानी के बहाव को रोक देती है जिससे वहां लगातार पानी इकट्ठा होने से सड़न होने पर बदबू व गन्दगी फैलने लगती है और वह क्षेत्र गम्भीर पर्यावरणीय तथा जन स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएं उत्पन्न करने लगता है।

उत्तर प्रदेश में मानक विहीन प्लास्टिक व थर्माकोल पर बैन लगाया गया है। प्रदेश के समस्त नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों में समस्त प्रकार के डिस्पोजल, निस्तारण योग्य प्लास्टिक कैरी बैगों के उपयोग, विनिर्माण, विक्रय, वितरण, भण्डारण, परिवहन, आयात या निर्यात को प्रतिबन्धित कर दिया गया है। यदि किसी के भी द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक/निर्धारित मानक से कम प्लास्टिक की थैलियों/थर्माकोल का प्रयोग, बिक्री, विनिर्माण आदि करते हुए पाया गया तो निषिद्ध वस्तुओं की मात्रा 100 ग्राम तक पाई जाने पर 1000 रु0, 101 से 500 ग्राम तक पाई जाने पर 2000 रु0, 501 से 01 किलोग्राम तक पाई जाने पर 5000 रु0, 01 किलोग्राम से 05 किग्रा0 तक पाई जाने पर 10,000 रु0 तथा 05 किग्रा0 से अधिक पाई जाने पर 25,000 रु0 जुर्माना निर्धारित किया गया है। जुर्माने के साथ ही एक से 06 माह तक के कारावास का भी प्राविधान इस अधिनियम में किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम से निश्चय ही गांवों और नगरों में स्वच्छता और पर्यावरण का बेहतर वातावरण बनेगा।

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