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सुप्रीम कोर्ट की दिशा निर्देशों पर भी भारी पड रहे जनपद के मेडिकल माफिया, मानकों को दरकिनार कर संचालित किये जा रहे नर्सिंग होम

सबकुछ जानकर भी धृतराष्ट् की भूमिका निभा रहा स्वास्थ्य विभाग, जिलाधिकारी से हुयी शिकायत

गोण्डा। रिहायशी क्षेत्रों में किसी भी दशा में नर्सिंग होम, चिकत्सालय का संचालन नहीं किया जायेगा ये देश की सबसे बडी अदालत द्वारा दिया गया स्पश्ट दिशा निर्देश है जिसका पालन करने की जरूरत न तो यहां के चिकित्सा माफिया ही समझते है और न ही दिशा निर्देश का पालन कराने वाले विभाग को ही इसकी जरूरत समझ आती है जिसका नतीजा यह है कि जनपद मुख्यालय के घनी आबादी के बीच दशकों से संचालित कुछ चिकित्सालय जहां आम जनता के लिए एक बडी मुसीबत बने हुए है वहीं इनसे लाभान्वित होने के बदले यहां के निवासियों को एक बडी महामारी के चपेट में आने का अंदेशा लगातार बना रहता है, हालाकिं जनपद के एक जिम्मेदार नागरिक ने नगर को इस भयंकर समस्या से निजात दिलाने के लिए कमर कस ली है और पूरे मामले की जिलाधिकारी से शिकायत की हे। अब देखना यह है कि इस गम्भीर समस्या पर जनपदीय प्रशासन कितनी गम्भीरता दिखाता है।

ज्ञात हो कि एक मामले की सुनवाई करते हुए देश की शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप् से यह दिशा निर्देश जारी किया था कि किसी भी स्थिति में रिहायशी इलाकों में नर्सिंगं होम, हास्पिटल सहित अन्य किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन नहीं किया जायेगा, लेकिन नगर मुख्यालय के ही एक नहीं आधे दर्जन से भी अधिक नर्सिंगं होम और चिकित्सालय घनी आबादी के बीच सीना ठोक कर उच्चतम न्यायायल को ठेगा दिखाते हुए खडे हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का हवाला देते हुए जनपद के स्वच्छ वातावरण समिति के अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य एडवोकेट मनोज कुमार सिंह ‘‘सोमवशी’’ ने जिलाधिकारी नितिन बसंल को लिखे शिकायती पत्र में एक गम्भीर समस्या की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा है कि नगर के बीचोबीच घनी आबादी के बीच आर्शीवाद हास्पिटल, सतीश चन्द्र पाण्डेय मेमोरियल हास्पिटल, सुमंगलम हास्पिटल, कृष्णा केयर सेन्टर, संजीवनी हास्पिटल, आर वी राव मेमोरियल हास्पिटल सहित गायत्री हास्प्टिल कई वर्षो से संचालित हैं इन सभी चिकित्सालयों से भारी मात्रा मेंं मेडिकल वेस्ट का उत्सर्जन होता जिसके निस्तारण की इन सभी के पास निर्धारित व्यवस्था नहीं है जिसके अभाव में यह मेडिकल वेस्ट यूं ही इधर उधर सडकों पर या इलाके में स्थित तालाबों में फेंक दिया जाता है जिससे भंयकर संक्रामक बीमारी कभी भी एक बडे इलाके को अपनी चपेट में ले सकती है।

इन सभी नर्सिंग होम्स के पार्किग की कोई भी उचित व्यवस्था न होने के कारण इनके मरीज व उनके तीमारदारों के वाहन सडकों पर या गलियों को अतिक्रमणित कर खडे किय जाते है जिससें वहां के निवासियों और इसी क्षेत्र में स्थित महिला महाविद्यालय की छात्राओं को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पडता है उन्होनें जिलाधिकारी को इस समस्या से भी अवगत कराया कि इसी क्षेत्र के महिला महाविद्यायल नारी ज्ञानस्थली मे आयोजित एक बैठक में वहां के स्टाफ और छात्राओं द्वारा शिकायत की गयी है कि डा0 संजय और आर्शीवाद हास्पिटल के मरीजों के तीमारदार महाविद्यालय के गेट की तरफ खडे होकर हमेशा लघुशंका करते रहते हैं जिससे उन्हें आते जाते समय एक असहज स्थिति का सामना लगभग प्रत्येक दिन करना पडता है जो काफी शर्मिन्दगी भरा होता है। जिसकी शिकायत यदि हास्प्टिल से या फिर उनके कर्मचारियों से की जाती है तो वे लडाई झगडे पर आमादा हो जाते है।

शिकायतकर्ता मनोज सिंह ने जिलाधिकारी को इस बात से भी अवगत कराया है कि सतीश चन्द्र पाण्डेय मेमोरियल हास्पिटल द्वारा हास्पिटल के पीछे स्थित तालाब के एक बडे हिस्से पर अवैध अतिक्रमण किया जा चुका है और इसी तालाब में हास्पिटल से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट भी फेका जाता है जिससे जहां मोहल्ले में पानी निकासी की समस्या उत्पन्न हो रही है वहीं भुगर्भ जल भी प्रदुषित हो रहा है जिसका प्रमाण पानी का थोडी देर रखने पर पीला पडना है जो आने वाले समय में एक भंयकर समस्या के रूप् में जनमानस के सामने आ सकता है।

सबसे बड़ी हैरानी की बात तो ये है की इन सभी अनियमितताओं की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को होते हुए भी उसने आजतक इस विषय पर कठोर तो दूर कोई सामान्य कार्यवाही तक भी करने की कभी भी कोशिश नहीं की, जो स्पष्ट रूप से विभाग में ऊपर से नीचे तक व्याप्त भ्रस्टाचार की पराकाष्टा की पोल खोलने के लिए काफी है !

फ़िलहाल शिकायतकर्ता मनोज सिहं ने जिलाधिकारी से अनुरोध किया हे कि इन चिकित्सालयों के विरूद् सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए कडी से कडी कार्यवाही अविलम्ब किये जाने की आवश्यकत है।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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