गोण्डा। जनपद मुख्यालय के चर्चित नगर पालिका कर्मचारियों के पीएफ घोटालें से आक्रोशित सभासदों द्वारा किये गये धरने प्रर्दशन को स्वायत्त शासन कर्मचारी महासंघ द्वारा अपना समर्थन देने से नाराज संघ के प्रान्तीय सचिव ने जिलाध्क्ष को पद से हटा दिया, अपने उपर हुयी कार्यवाही से आक्रोशित जिलाध्यक्ष ने प्रान्तीय सचिव पर गम्भीर आरोप लगाते हुए प्रदेश के पदाधिकारियों से मामले की शिकायत करते हुए चैकाने वाले खुलासे किये है।
ज्ञात हो कि नगर पालिका परिषद गोण्डा में पिछले दिनों हुए चर्चित पीएफ घोटालें को खुलासा हुआ जिसको लेकर पालिका के सभासदों ने विगत 27 दिसम्बर को पलिका कार्यालय में धरना प्रर्दशन किया, सभासदों के इस पदर्शन को जनपद के स्वायत्त शासन कर्मचारी महासंघ ने भी अपना समर्थन दिया। महासंघ के इस समर्थन को संघ के प्रान्तीय सचिव सुकई भारती ने ट्ेड यूनियन के एक्ट का उल्लंधन बताते हुए जिलाध्यक्ष संजय वाल्मीकि को पद से हटा दिया।
सजयं वाल्मीकि ने अपने साथ हुए इस कृत्य पर आक्रोश्ति होते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष बालेश्वर मिश्र, प्रान्तीय महामंत्री चन्द्रशेखर, मण्डल अध्यक्ष सत्य नारायण तिवारी को सुकई भारती की शिकायत करते हुए पत्र लिखा है। अपने लिखे पत्र में संजय वाल्मीकि ने जहंा अपने साथ किये गये इस व्यवहार पर दुूख जताया है वही प्रान्तीय सचिव पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप भी लगााये है। श्री वाल्मीकि ने पत्र मे ंकहा है कि सुकई भारती ने उन्हें जिलाध्यक्ष पद सौपने के समय उनसे 5100 रूप्ये ंसघ के कोष में जमा करने के नाम पर लिए थे। श्री वाल्मीकि ने श्री भारती पर यह भी आरोप लगाये है िकवे इसी तरह प्रत्येक छह माह पर लोगों से पैसे लेकर उन्हें जिलाध्यक्ष पद पर आसीन करते रहते है। उन्होनें इसे अपना धंधा बना रखा है।
इतना ही नही श्री भारती महांसघ के अलावा अन्य कई संगठनो का भी संचालन करते हैं जिसमें प्रमुख है अखिल भारतीय मानवाधिकार मिशन, तथा पब्लिक राइटस एसोसिएशन। संघ के जिलाध्यक्ष संजय वाल्मिीकि ने प्रदेश अध्यक्ष से श्री भारती के कृत्यों की जाचं कर संघ के उचित कार्यवाही किये जाने की मांग की हैं, वही जब इस विषय पर संघ के प्रान्तीय सचिव सुकई भारती से जानकारी चाही गयी तो उन्होनें लगाये गये आरोपों पर यह कहते हुए बचाव किया कि ट्ेड यूनियन में रहते हुए समाजिक संगठन में शामिल होना कोई अपराध नही है। तथा पैसे लेकर पद वितरित करने के आरोप को पूरी तरह निराधार बताया, लेकिन इस सवाल का कोई जवाब नही दे सके कि उन्होनें श्री वाल्मीकि को पद से क्यों हटाया।
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