कोलकाता (पश्चिम बंगाल)। कथित विवादास्पद नारे लगाने के चलते गुरूवार को तीन भाजपा कार्यकर्ताओं को पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा गिरफतार करने कर लिया गया वहीं टीएमसी के वरिष्ठ नेता द्वारा मंच से चीर देने जैसे गम्भीर नारे लगाने पर पुलिस सहित चुनाव आयोग की खामोशी संदेहास्पद दिख रही है।
भाजपा मेें शामिल हुए टीएमसी के वरिष्ठ नेता शुवेन्दु अधिकारी की रैली में कथित रूप् से कार्यकर्ताओं द्वारा देश के गददारो ंको गोली मारों सालों को नारा लगाने के आरोप में पंश्चिम बंगाल पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए हुगली जिला अध्यक्ष सुरेश साहू सहित तीन कार्यकर्ताओं को गिरफतार कर पुलिस ने उन्हें अदालत में पेश किया जहंा अदालत ने उन्हें आगामी 30 जनवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत मे भेज दिया। यहां यह भी बताना आवश्यक है कि पुलिस ने इस मामले को स्वतः सज्ञान लेकर कार्यवाही की है अर्थात इस नारे को लेकर किसी ने किसी भी तरह की कोई शिकायत दर्ज नही करायी है।
ज्ञात हो कि चुनाव आयोग की टीम अपने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरेाडा के साथ इस समय पश्चिम बंगाल के दौरे पर है। लेकिन ऐसे समय में भी पुलिस द्वारा टीएमसी के नेता मदन मित्रा द्वारा चुनावी सभा में दिये गये एक बडे विवादास्पद बयान जिसमें उन्होनंेें मंच से भाजपा नेताओं को धमकी देते हुए कहा था कि बंगाल मांगोगें तो चीर देगें पर किसी भी तरह की कार्यवाही न करते हुए मात्र इस गददारों को गोली मारने के नारे पर कडी कार्यवाही करते हुए तीन भाजपा कार्यकर्ताओं को जेल की हवा खिला दी। मदन मित्रा के इतने गम्भीर बयान जिसमें उन्होनें ऐसा जताया था जैसे कोई विदेशी आतंकी संगठन देश को तोडने या फिर उसके एक हिससे को मागं रहा है और मदन मित्रा उसको जवाद दे रहे हो, पर कोई कार्यावाही न करते हुए मात्र गददारो को गोली मारने के नारे पर त्वरित कार्यवाही करते हुए गिरफतारी तक करना साबित करता है कि पुलिस इस समय तृणमूल कांग्रेस की सहायक कम्पनी की तरह कार्य कर रही है।
फिलहाल बंगाल पुलिस के कारनामों और टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा मचाये जा रहे उपद्रव इस बात की ओर साफ इशारा कर रहे है कि बंगाल में तृणमूल की पकड धीरे धीरे कमजोर होती जा रही है वह अपनी हताशा और निराशा को छुपाने के लिए आतंक का सहारा लेकर किसी तरह अपने को पाक साफ ओैर ताकतवर बताने का खोखला प्रयास कर रही है।