विदेशी नागरिकता का लालच देने के साथ 84 के दंगों को भी आंदोलन से जोडने का किया गया था प्रयास
नयी दिल्ली। गणतत्रं दिवस पर किसान आन्दोलन के नाम पर हिसंा भडकाने मामले पर नये नये खुलासे हो रहे है। बताया जाता है कि अलगाववादी और खालिस्तानी समर्थक संगठनों ने इसकी तैयारी बहुत पहले से ही करना आरम्भ कर दिया था जिसमें तिरंगा हटा कर लालकिले पर खालिस्तानी झंडा फहराने पर ढाई लाख डालर के इनाम, विदेशी नागरिकता का लालच तथा वर्ष 1984 में सिख विरोधी दंगों को किसान आन्दोलन से जोडने का भी प्रयास किया गया था।
मिल रही जानकारी के अनुसार ये सारी तैयारिया विदेश से संचालित आतंकी संगठन सिख फार जस्टिस द्वारा उसके कर्ताधर्ता गुरप्रीत सिंह पन्नू द्वारा की गयी थी। सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार पन्नु ने बहुत पहले से ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि जो भी व्यक्ति लाल किले से तिरंगा हटा कर खालिस्तानी झंडा लहरायेगा उसे ढाई लाख डालर का ईनाम दिया जायेगा।
इतना ही नही उसने लोगों को विदेशी नागरिकता दिलाने का लालच देने के साथ साथ इस बात का भी प्रयास किया था कि किसान आन्दोलन को वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगो के साथ भी जोड दिया जाये। उसने किसानो ंको उकसाते हुए कहा था कि दूनिया आपके साथ है। अगर भारत सरकार आप पर कार्यवाही करती हेै तो आपको और आपके परिवारो ंको संयुक्त राष्ट् कानूनों के तहत विदेश लाया जायेगा। हैरानी तो इस बात की हो रही है कि पन्नू के इन संदेशों की जानकारी भारतीय खुफिया एजेन्सियों को भी थी परन्तु मामले को शायद हल्के मेे लेते हुए प्रर्याप्त व्यवस्था करने में ऐजेन्सिया नाकाम रही जिसका परिणाम गणतत्रं दिवस पर हिसंा के रूप् मे ंसामने आया।
मिल रही जानकारी के अनुसार पन्नु के यह संदेश आज से लगभग दो सप्ताह पहले ही किसानों के पास आना आरम्भ हो गये थे। संदेशों मे ंयह स्पष्ट रूप् से कहा गया था कि गणतत्र. दिवस आने वाला है, भारतीय तिरंगे को हटाकर खालिस्तानी झंडा लगा दो, जो भी इस काम को करेगा उसे ढाई लाख डालर का इनाम दिया जायेगा। बताया जाता है कि पन्नू ने इस काम के लिए एक वीडिया भी जारी किया था जिसमें 84 के दंगो ंको किसान आन्दोलन से जोडने का प्रयास था।
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