गोण्डा। जिला चिकित्सालय जिस तरह साफ सुथरा दिखाई पड़ता है, हक़ीक़त में भी क्या वह साफ सुथरा है? यह एक प्रश्न है।जिसका उत्तर यह है कि नही।
आखिर ऐसा क्यों है। तो इसका जवाब है कि कुछ बाते सामने दिखाई पड़ती है।जो इस बात को दर्शाती हैं कि सब कुछ ठीक है,लेकिन पर्दे के पीछे सच उसके ठीक उलट है।
जिला चिकित्सालय की साफ सफाई एवं जल निकासी के संबंध में जब पड़ताल किया तो पता चला कि सम्पूर्ण चिकित्सालय के जल की निकासी का कहीं कोई स्थायी साधन नही है।चिकित्सालय की साफ सफाई एवम वार्डो से निकल कर नालियों में बहने वाला गंदा पानी घूम फिर कर चिकित्सालय में ही भरा रहता है,जिसके निकासी का कोई प्रबंध चिकित्सालय प्रशाशन के पास नही है।नालियों से निकलने वाला गंदा पानी चिकित्सालय कर्मचारियों के लिए बने आवास के ठीक बगल तालाब की शक्ल में जमा हुआ है।जहां एक तरफ यह चिकित्सालय प्रशाशन के लिए सरदर्द है,वही यह कर्मचारियों के लिए अभिशाप की तरह है। यहां रहने वाले कर्मचारियों का जीवन इस जल भराव से नारकीय बना हुआ है।स्थिति यह है कि बरसात के दिनों में लोगों के आवास में बने शौचालयो में पानी भर कर लोगो के कमरों व किचेन में भर जाता है।जबकि पूरा चिकित्सालय तालाब बन जाता है।
ऐसा नही है कि जिम्मेदार इस बात से बेखबर हैं।लेकिन सच्चाई यह भी है कि यहां आने वाले सभी अधीक्षक अब प्रमुख अधीक्षक ने कभी इस समस्या के लिए स्थाई समाधान की कोशिश नही की है।चिकित्सालय में मरीजो के लिए बने वार्डों के शौचालय हो या यहां तैनात चिकित्सको के ओ पी डी,कार्यालय या आवास सभी की जल निकासी का प्रबंध सब कुछ सोकपिट के सहारे ही आज तक चलता चला आ रहा है। जैसे जैसे चिकित्सालय में निर्माण बढ़ता जा रहा है समस्या धीरे धीरे और विकराल भी होती जा रही है।उदाहरण के लिए अभी तक सिर्फ चिकित्सालय की अपनी एक बिल्डिंग व कुछ आवास ही थे,लेकिन जब 120 बेड की नई बिल्डिंग बनी तो यह समस्या और बढ़ गयी।
यह बात भी अब सर्वविदित है कि शीघ्र ही चिकित्सालय में मेडिकल कालेज के निर्माण भी शुरू हो जायेगा तब क्या होगा।
इस भयंकर जल भराव के कारण जहां लोग परेशान हैं वहीं इसके चलते तमाम तरह के संक्रामक रोगों का चिकित्सालय में पांव पसारने का खतरा लगातार बना हुआ है।
जिला चिकित्सालय की इस विकट समस्या को लेकर चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर घनश्याम सिंह से जब बात चीत की गई तो वह खुद भी परेशान नजर आए।उन्होंने इस परेशानी को स्वीकारते हुए कहा कि उन्होंने ख़ुद इसकी बारीकी से पड़ताल की है।उन्हें खुद भी यह समझ मे नही आ रहा कि इसके पूर्व जो भी जिम्मेदार यहां रहे उन्होंने इस समस्या की सुध क्यों नही ली।जबकि यह मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है।समस्या मेरे संज्ञान में है।इस संबबढ मे नगर पालिका प्रशाशन, जिला अधिकारी महोदय, चिकित्सा स्वास्थ भवन,एवम मुख्यमंत्री के कार्यालय में इस संबंध में पत्राचार किया गया है।शीघ्र ही इस समस्या के निराकरण के लिए कोई सहमति अवश्य बन जाएगी,जिसके आधार पर इसका स्थाई निराकरण संभव हो पायेगा।
उल्लेखनीय यह है कि लगातार कई वर्षो से हो रहे इस जलभराव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी चिकित्सालय आगमन पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए शीघ्र इसके निराकरण कराये जाने का आदेश तात्कालिक प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर अरुण लाल को दिया था.।लेकिन उनके बाद आये कार्यवाहक अधीक्षक डॉकटर एस के रावत ने इसका संज्ञान नही लिया।
नए आये प्रमुख अधीक्षक इस बात को लेकर गंभीर प्रतीत हो रहे हैं।
You must be logged in to post a comment.