गोण्डा।जनपद में लगातार फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहे बढ़ते मरीजो की संख्या अब जिला अस्पताल की छमता से कहीं अधिक हो चुकी है। चिकित्सालय प्रशाशन नो बेड की घोषणा भी कर चुका है लेकिन मरीज हैं कि कम होने का नाम ही नही ले रहे। हर तरफ अफरा तफरी चीख पुकार का मंजर है। किसी को स्ट्रेचर की जरूरत है तो किसी को शव वाहन की। कोई डॉक्टर को रोकर अपने मरीज को भर्ती कराने के लिए हाथ जोड़ रहा है तो कोई बता रहा है कि उसके प्रियजन की पल्स नही है।
इतने जटिल स्थितियों में भी डॉक्टर अपना फर्ज अपनी जान की परवाह न करते हुए निभा रहे है। ऐसा ही एक मंजर जब सामने आया तो मन द्रवित हो उठा। एक मरीज के लिए उसके परिजन काफी देर से स्ट्रेचर ढूंढ रहे थे लेकिन हालात के चलते स्ट्रेचर खाली न होने पर एमरजेंसी इंचार्ज डॉक्टर विकाश सेठी खुद ही मरीज को उठाने के लिए आटो रिक्शा के पास पहुंच गए। अपनी सुरक्षा को भूल कर वह मरीज की जान बचाने के लिए उसे उठाकर एमरजेंसी तक ले गए लेकिन वह बच न सका।
डॉक्टर सेठी के अनुशार वह ब्रॉड डेड था। जिसकी मौत करीब आधे घंटे पहले ही चुकी थी।
You must be logged in to post a comment.