महाराष्ट्र लाइफस्टाइल

नियुक्तियों में भेदभाव पर मुखर हुआ अखंड राजपुताना सेवा संघ, सांसद को लिखा पत्र

मुंबई (महाराष्ट्र) ! विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्तियों की प्रक्रिया में जाति और समुदाय को लेकर भिन्न भिन्न नियमो पर मुखर होते हुए अखण्ड राजपुताना सेवा संघ ने इस विषय को सदन के पटल पर रखने की मांग को लेकर बिहार प्रदेश के सीवान से सांसद श्रीमती कविता अजय सिंह को पत्र लिखा है !

अखंड राजपुताना सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर पी सिंह ने सांसद और संगठन के बिहार इकाई की संरक्षक श्रीमती कविता अजय सिंह को पत्र के माध्यम से अवगत कराते हुए कहा है कि आपके माध्यम से सदन का ध्यान एक ऐसे विषय पर आकर्षित करना चाहते है जो इस देश में काफी लंबे वक्त से है अनदेखा किया जा रहा है परन्तु आज के समय मे यह अतिआवश्यक विचारणीय प्रश्न मे समाहित हो चुका है जिसका अवलोकन करना आवश्यक हो गया है । हम देश की शिक्षा नीति और देश के शिक्षा में हो रही असमानता के बारे में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।

आजादी के बाद से ही समय-समय पर देश में शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए कई प्रयास किए गए कई समितियों का निर्धारण किया गया उनके सुझावों पर काम किया गया किंतु उसमें समाज के कुछ या यूं कहे समाज के कुछ तबकों के साथ न्याय नहीं हुआ और न्याय से मेरा तात्पर्य उस व्यवस्था से है जिसमें प्रभाव एवं उदारता के स्तर को समान रखते हुए समानुपातिक अधिकार की व्यवस्था होनी चाहिए थी वह व्यवस्था शिक्षा के क्षेत्र में लागू नहीं हो पाई।

इससे पूर्व कि हम विषयांतर पर विस्तृत चर्चा करे हम यहां पर एक तथ्य एवं बात स्पष्ट कर देना चाहते है कि हमारा समाज के किसी भी वर्ग एवं जाति विशेष के साथ कोई भी वैर एवं वैमनस्यता नहीं है लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि आज शिक्षा का क्षेत्र हो अथवा अन्य क्षेत्र हो विशेषकर प्रतियोगी परीक्षाओं मे सवर्ण वर्ग के साथ बहुत ही बड़ा अन्याय किया जाता रहा है। आप स्वयं इस विषय पर विचार करेंगी तो पाएंगी की विद्यालय कालेज विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया हो अथवा केंद्र/ राज्य सरकार की कोई प्रतियोगिता भर्ती परीक्षा हो जब भी सरकारों द्वारा इन क्षेत्रों में कोई भी आवेदन मांगे जाते हैं तो जो शुल्क तय किया जाता है वह हमेशा और वर्ग विशेष की तुलना में सामान्य वर्ग विशेष के लिए अत्याधिक होता है जो कि सामान्य वर्ग के प्रतिभागियों पर एक बोझ होता है या हम कह सकते है कि उनके लिए यह एक जातिगत दण्ड दिया जाता है । इसके अलावा एक बात और मेरी समझ से परे है अथवा यूं कहें कि शायद मेरे अंदर इतना विवेक ही नहीं है कि हम यह बात समझ सके कि किसी भी प्रतियोगी भर्ती के आवेदन को भरते समय सामान्य वर्ग विशेष के बच्चों के साथ आयु संबंधी इतना बड़ा भेदभाव कैसे और किस आधार पर किया जा सकता है। जहां आरक्षित वर्ग को 3 साल 5 साल 10 साल तक की आयु में छूट का प्रावधान किया गया है वही सामान्य वर्ग विशेष के लिए ऐसा प्रावधान नहीं करने का कारण स्पष्ट क्यों नहीं है जबकि इस तरह के भेदभाव को हमारे संविधान मे कही स्थान नहीं दिया गया है तो फिर किस मानसिकता के तहत यह किया जा रहा है और हमारे जनप्रतिनिधि इस पर मौन क्यों है । हम सहमत है कि सरकार पिछड़े दबे हुए एवं कुचले वर्ग की सहायता करें जो शायद उनका संवैधानिक अधिकार भी है पर यह अधिकार जातिगत कैसे हो सकता है। जब आप किसी प्रतिभाशाली को अवसर ही नहीं देंगे तो वह अपनी प्रतिभा कैसे साबित करेगा। सिर्फ आयु संबंधी भेदभाव के कारण एक प्रतिभाशाली नागरिक को देश सेवा से कैसे वंचित किया जा सकता है ।

सरकार दिन रात संविधान संवैधानिक विधिक अधिकारों की बात करती हैं परंतु यह कैसे भूल जाती हैं कि संवैधानिक अधिकार किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं बल्कि भारतीय नागरिक के लिए है और भारतीय नागरिक में कोई वर्ग विशेष नहीं आता जब हम भारतीय नागरिक की बात करते हैं अथवा भारतीय नागरिकता की बात करते हैं तो उसके अंदर सामान्य वर्ग विशेष पिछड़ा वर्ग विशेष अनुसूचित जाति जनजाति दलित महादलित समाज का प्रत्येक व्यक्ति आता है।

संविधान के प्रस्तावना में ही समाजिक एवं आर्थिक समानता एवं स्वतंत्रता की बात कही गई है फिर भी हमारे साथ भेदभाव किया जा रहा है जो कि संविधान के मूल भावना के विपरित है । हम आपके माध्यम से मांग करते कि सभी को समान नागरिकता के तहत अधिकार सुनिश्चित किया जाए और हमे पूर्ण विश्वास है कि आप हमारी मांग को स्वीकार कराने का पूरा प्रयत्न करेंगी । हम स्पष्ट कर देना चाहते है कि हम किसी के भी अधिकार हनन के विरुद्ध है वह चाहे किसी भी वर्ग विशेष से संबंधित हो और विश्वास प्रकट करता हू कि दूसरे भी हमारी भावना का सम्मान करेंगे। हम आरक्षण के साथ ही आर्थिक मदद के भी पक्षधर है लेकिन जाति के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर होना चाहिए क्योंकि गरीबी जाति नहीं परिस्थिति से आती है ।

अखण्ड राजपुताना सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर पी सिंह ने आग्रह करते हुए कहा है कि इस विषय पर सदन का ध्यान आकर्षित कराए एवं इस पर कोई ठोस एवं शीघ्र अति शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित कराने का प्रयत्न करें जिससे सामान्य वर्ग को न्याय मिल सके और अंत में यह कहते हुए अपने शब्दों को विराम देना चाहूंगा कि आप सामान्य वर्ग विशेष से सदन मे पहुची है जिनके माध्यम से हमारी बात सदन के पटल पर रखी जाएगी इसका हम सब सदैव स्मरण रखेंगे और समाज आपका सदैव कृतज्ञ रहेगा ।

About the author

राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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