वाराणसी। भगवान शिव की नगरी वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के आयोजन में सस्ंकृति संसद मे अपने विचार रखते हुए प्रसिद्व इतिहासकार कोनराड एलस्ट ने खुलासा करते हुए कहा कि 11वीं शताब्दी से लेकर सोलहवी शताब्दी के बीच भारत के लगभर 10 करोड हिन्दुओ को नरसंहार किया गया था। संस्कृति संसद मे केरल के राज्यपाल आरिफ मोहममद खान सहित कई जानी मानी अन्तराष्ट्ीय हस्तियों ने भाग लेकर अपने अपने विचारों को मंच पर रखा।
संस्कृति संसद में बोलते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि भारत की पहचान राजाओं या बादशाहों से नही है बल्कि इसकी पहचान ऋषियों और मुनियों से है जिन्होनें भारतीय संस्कृति को समृद्व करने के लिए हजारों वर्षो तक कठोर तपस्या की है। उनकी तपस्या का ही परिणाम है कि हमारी सनातन संस्कृति ही पूरी दूनिया की अकेली संस्कृति है जो पूरी दूनिया को मार्ग दिखाने मे सक्षम है।
जिन्ना को लेकर चल रहे ताजा विवाद पर बोलते हुए श्री खान ने कहा कि जिन्ना के दादा मुसलमान नही थे यहां तक कि जब उनके पिता मुसलमान हुए तो उनकी भी उम्र पक्की हो चुकी थी। उन्होनें इस्लाम के प्रर्वतक मोहम्मद साहब पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि उन्होनंें कहा है कि मैं मक्के मे जरूर रहता हूं भारत नही गया लेकिन भारत के इल्म की शीतल हवा को यही से महसूस करता हूं।
संसद मे प्रसिद्व इतिहासकार कोनराड एल्स्ट ने हिन्दू संस्कृति पर दो हजार वर्षो तक किये गये हमले पर बडा खुलासा करते हुए कहा कि भारत पर विदेशी हिसंक हमलों की शुरूआत 636 ईस्वी से ही आरम्भ हो गये थे। इन हमलों मे मात्र 500 वर्षाे 11वीं सदी से लेकर 16वीं सदी तक के काल में ही लगभग 10 करोड हिन्दुओं को नरसंहार कर दिया गया था। उन्होनें यह भी कहा िकइस तरह के हिन्दुओं के नरसंहार से पूरे विश्व को सबक और सीख लेनी चाहिए।
संस्कृति संसद मे अन्य विद्वानो ने भी अपने विचार रखे जिनमें विश्व हिन्दु परिषदे के अन्र्तराष्ट्ीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, अखिल भारतीय संत सामिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती, वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय, प्रसिद्व विद्वान डा0 वाचस्पति, अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्र, जगदगुरू स्वामी राजराजेश्वराचार्य सहित अन्य कई विद्वान सम्मलित रहे।