काठमाडूं (नेपाल)। नेपाल के पूर्व प्रधानमत्रंी के पी शर्मा ओली जिनकी सरकार एक तरह से देखा जाये तो भारत विरोधी रवैया अपनाने के चलते ही चली गयी थी, एक बार फिर उसी राह पर चलते दिखाई दे रहे है। हाल ही मे उन्होनंे अपने एक बयान मे अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा है कि उनकी पार्टी सत्ता मे आती है तो बातचीत के जरिये भारत से लिपिंयाथुरा तथा कालापानी वापस ले लेगें।
ज्ञात हो कि ओली के सत्ता मे आते ही उन्होनें नेपाल सरकार को भारत से दूर करते हुए चीन की तरफ झुकाने का काम किया था। एक तरह से कहा जाये तो वह सत्ता मे आते ही चीन की भाषा बोलने लगे थे। चीन के ही उकसावे पर उन्होनें भारत से लिपियाथुरा तथा कालापानी का विवाद छेडा था। हालाकि इन दोनों क्षेत्रो को दोनों देश पिछले काफी समय से अपना अपना बताते रहे है। भारत इसे अपने उत्तराखण्ड के पिथौरागढ जिले का हिस्सा बताता है तो वही नेपाल इसे आपने दारचूला जिले का हिस्सा बता दावा करता है।
पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने यह दावा उस समय किया जब वह चितवन मे नेपाली कम्यूनिष्ट पार्टी के 10वंें आम सम्मेलन का उदघाटन करने पहुचें थे। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होनें कहा कि अगर उनकी पार्टी सत्ता मे आती है तो वह भारत से बातचीत करते हुए लिम्पियाथुरा, कालापानी तथा लिपुलेख जैसे विवादित क्षेत्रों को वापस ले लेगी। उन्होनें यह भी कहा कि हम बातचीत के जरिये समस्याओं के समाधान के पक्ष में है न कि पडोसियों से दुश्मनी करके। उन्होनें यह भी दावा किया कि हमारी पार्टी आगामी चुनावों मं सबसे बडी ताकत बन कर उभरेगी।