उत्तर प्रदेश राजनीति

तो सैफई महोत्सव में लुटाये गए थे 54 हज़ार करोड़, हर तरह की अय्याशीयो को दिया जाता था अंजाम

Written by Vaarta Desk

उत्तर प्रदेश में 90 के दशक में समाजवादियों की अय्याशी पर मशहूर शायर अदम गोंडवी ने लिखा था

“काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है समाजवाद विधायक निवास में

पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में”

वह तो अच्छा था कि अदम गोंडवी साहब सैफई महोत्सव नहीं देख पाए

सोशल मीडिया में चल रही चर्चाओं पर निगाह डाली जाए तो मुलायम सिंह यादव 5 साल सत्ता में रहे और अखिलेश यादव 5 साल सत्ता में रहे और इन 10 सालों के दौरान हर साल मुंबई से उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी विमान से और दूसरे आलीशान कारपोरेट जेट भाड़े पर लेकर सलमान खान, कैटरीना कैफ, रणबीर कपूर, माधुरी दीक्षित, अमिताभ बच्चन, शिल्पा शेट्टी से लेकर पूरे बॉलीवुड को एक छोटे से गांव सैफई में बुलाया जाता था जो मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव है और फिर 15 दिनों तक उस गांव में शराब शबाब और कबाब की महफिले सजती थी

समाजवादी लोग हाथ में दारू का गिलास लिए मुर्ग मुसल्लम का चखना लिए फिल्मी तारिकाओं का डांस देखकर समाजवाद को मजबूत करते थे

और इस महोत्सव के बारे में यहां तक भी खबरें हैं कि सिर्फ डांस ही नहीं आगे बहुत कुछ होता था और तो और जानकारी तो यहां तक मिल रही है कि आरटीआई से जब पूछा जाता था कि समाजवादियों के इस महा उत्सव पर आपने कितना पैसा सरकारी खजाने से खर्च किया है तब यह आरटीआई से जवाब तो नही मिलता था लेकिन जब कोई खर्च की जानकारी के लिये हाईकोर्ट में अपील करता था उसे गोली मार दी जाती थी

बताया तो यहां तक जा रहा है कि ऐसे 4 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या करवा दी गई थी जिन्होंने सैफई महोत्सव का खर्च जानने की कोशिश किया

वह दहशत भरा दौर याद करिए और फिर मुलायम सिंह यादव के दौर के बाद जब मायावती आई तब उन्होंने यह खर्च बताया कि मुलायम सिंह यादव के पांच सैफई महोत्सव पर 18000 करोड रुपए खर्च हुआ और योगी सरकार ने बताया अखिलेश यादव के सैफई महोत्सव पर ₹34000 करोड़ सरकारी खजाने से खर्च हुआ और यह सब पैसे भाड़े पर कारपोरेट देने वाले तथा मुंबई के अमीर फिल्मी दुनिया के सितारों पर खर्च कर दिए गए

क्या यही असली समाजवाद है ?

आप कुछ फोटोग्राफ देखिए इस तरह से मुंबई की पूरी फिल्मी दुनिया को पैसे सरकारी पैसे के दम पर अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव सैफई में उतार देते थे और फिर समाजवादी शराब शबाब और कबाब का दौर चलता था जाम से जाम टकराते थे चखना का आदान-प्रदान होता था !!

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