बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं के राष्ट्रव्यापी कार्य बहिष्कार का दूसरा दिन
निजीकरण की जन विरोधी नीति वापस न हुई तोअनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी
लखनऊ ! नेशनल कोआॅर्डिनेशन कमेटी आॅफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाॅइज एवं इंजीनियर्स (एन सी सी ओ ई ई ई) के आह्वान पर देश भर के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों का कार्य बहिष्कार आज भी जारी रहा। बिजली कर्मचारियों ने 08 व 09 जनवरी को दो दिन के कार्य बहिष्कार की नोटिस केन्द्र व राज्य सरकारों को दी थी। दो दिवसीय कार्य बहिष्कार के दौरान देश भर में बिजली कर्मियों ने काम बन्द रखा और बिजली घरों व दफ्तरों के बाहर विरोध प्रदर्शन कर सभायें कीं।
दो दिन के कार्य बहिष्कार की सफलता के बाद एन सी सी ओ ई ई ई ने चेतावनी दी है कि यदि इलेक्ट्रसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल 2018 वापस न लिया गया, राज्यों में बिजली कम्पनियों का एकीकरण कर राज्य विद्युत परिषद निगम लि का गठन न किया गया, पुरानी पेन्शन बहाल न की गयी और संविदा कर्मियों को नियमित न किया गया तो नेशनल कोआॅर्डिनेशन कमेटी आॅफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाॅइज एवं इंजीनियर्स (एन सी सी ओ ई ई ई) लोक सभा चुनाव के पहले अनिश्चितकालीन हड़ताल की नोटिस देने हेतु बाध्य होगा जिसकी सारी जिम्मेदारी केन्द्र व राज्य सरकारों की होगी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले उ प्र में बिजली कर्मियों ने कार्य बहिष्कार जोरदार विरोध प्रदर्शन किये। उप्र में राजधानी लखनऊ के अलावा अनपरा, ओबरा, पारीछा, हरदुआगंज, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, आजमगढ़, बस्ती, मिर्जापुर, अयोध्या, गोण्डा, बरेली, मुरादाबाद, गाजियाबाद, मेरठ, बुलन्दशहर, सहारनपुर, अलीगढ़, केस्को, बांदा, झांसी, आगरा, पनकी में बिजली कर्मचारियों और अभियन्ताओं ने कार्य बहिष्कार कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेन्ट) बिल 2018 के लागू होने के बाद उप्र में किसानों व आम उपभोक्ताओं को रू 10 प्रति यूनिट से कम पर बिजली नहीं मिलेगी। स्पष्टतया इतनी मंहगी दरों पर किसान बिजली नहीं खरीद पायेगा जिसका दुष्परिणाम खाद्यान्न के उत्पादन पर पड़ेगा और एक बार पुनः देश 1965 के पहले के खाद्यान्न आयात (पी एल 480) के युग में पहुंच जायेगा जो देश के लिए अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
नई नीति के तहत सब्सिडी व क्रास सब्सिडी शनैः शनैः तीन साल में समाप्त कर दी जायेगी। ध्यान रहे लागत से कम मूल्य पर किसानों, गरीबों और घरेलू उपभोक्ताओं को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी नीति के अन्तर्गत आती है जिसके घाटे की आंशिक भरपाई वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं को लागत से अधिक मूल्य पर दी जाने वाली बिजली से की जाती है। इसे क्रास सब्सिडी कहा जाता है। क्रास सब्सिडी समाप्त होने से वाणिज्यिक व औद्योगिक उपभोक्ताओं की बिजली जहां सस्ती हो जायेगी वहीं सब्सिडी समाप्त होने से आम लोगों की बिजली मंहगी हो जायेगी। इस प्रकार यह संशोधन आम उपभोक्ता विरोधी व उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाला है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि बिजली संविधान में समवर्ती सूची में है और राज्य का विषय है। नये संशोधन के बाद बिजली आपूर्ति में केन्द्र की सीधी दखलंदाजी होगी जो राज्यों के अधिकार क्षेत्र का हनन है। इस प्रकार नया संशोधन राज्यों के हितों के विपरीत है।
संघर्ष समिति ने प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों को तमाम बिजली कर्मचारियों और अभियन्ताओं को दो दिन के शानदार कार्य बहिष्कार के लिए बधाई देते हुए आह्वान किया है कि बिजली कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल की तैयारी में जुट जायें।
संघर्ष समिति की आज यहां हुई सभा को मुख्यतया शैलेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, मायाशंकर तिवारी, बिपिन प्रकाश वर्मा, सुहेल आबिद, शशिकांत श्रीवास्तव, डी के मिश्रा, महेंद्र राय, मोहम्मद इलियास, वी सी उपाध्याय, करतार प्रसाद, कुलेन्द्र सिंह, पी एन राय, पी एन तिवारी, परशुराम, रामवीर सिंह, अशोक कुमार, भगवान् मिश्रा, पूसे लाल, ए के श्रीवास्तव, आर एस वर्मा, पी एस बाजपेई ने सम्बोधित किया !