उत्तर प्रदेश गोंडा लाइफस्टाइल स्वास्थ्य

जिला चिकित्सालय की दुर्दशा, पम्प हाउस में भरा पानी, ठप्प हो सकती है आपूर्ति

जान जोखिम में डालकर आपरेटर पम्प हाउस का संचालन करने को है मजबूर

जल निकासी का कोई प्रबंध नहीं होने से,समस्या हुई विकराल

पूर्व अधिकारियों के सिर ठीकरा फोड़ रही प्रमुख अधीक्षक

गोंडा। बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय में 72 वर्षो के बाद भी आज तक जल निकासी का कोई प्रबंध न होने से संपूर्ण चिकित्सालय जल भराव की समस्या से ग्रस्त है। परेशानी का आलम यह है कि लाखो रुपए अस्पताल प्रशासन को हर वर्ष टैंकरों के द्वारा पानी निकलवाने पर खर्च करने पड़ रहे हैं।इसके बावजूद भी समस्या जस की तस बनी रहती है।

जल भराव के चलते अब जहां एक तरफ कर्मचारी आवास में रहने वाले कर्मचारियों का जीना दूभर है तो वही दूसरी ओर जलभराव के चलते संपूर्ण अस्पताल में पानी की आपूर्ति बंद होने का अंदेशा बना हुआ है।
अस्पताल के नई बिल्डिंग स्थित कोविड अस्पताल के ठीक सामने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का आवास है,उसके बगल ही सम्पूर्ण अस्पताल परिसर में पानी आपूर्ति के लिए पानी की टंकी एवम पंप हाउस है,जहां 6 फिट गहरा पानी पूरे परिसर में भरा हुआ है। जान जोखिम में डाल कर पम्प हाउस को संचालित करने के लिए आपरेटर को इसी पानी में डुबकी लगा कर जाना पड़ता है।

पम्प हाउस ऑपरेटर ने दबी जुबान से इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि इस तरह पम्प हाउस का संचालन करना उनके लिए जान की बाजी लगाना है। पम्प हाउस का संचालन विद्युत के द्वारा होता है,जब संपूर्ण परिसर में पानी भरा हुआ है, तो ऐसे हालात में किसी भी समय करंट लगने से जान जाने का खतरा हर समय बना रहता है, साथ ही जिस पानी से होकर वह पम्प हाउस तक आते हैं। इस पानी में कई जहरीले सांप भी तैरते रहते है,ऐसे में दोनो तरफ से उनकी जान को खतरा बना रहता है।

किसी तरह पानी की आपूर्ति बनाए रखने लिए यह खतरा वह रोज उठाते हैं।उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यदि समस्या इसी तरह बनी रही तो पम्प हाउस का संचालन बाधित हो सकता है एवम इससे अस्पताल के अंदर पानी आपूर्ति ठप्प हो सकता है।

जलभराव के कारण कर्मचारियों में भी काफी रोष दिखाई पड़ता है। कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताते हुए कहा कि जलभराव के कारण उनके घरों में पानी भरा हुआ है।घर के अंदर बने शौचालय चोक हो चुके है।सारे टैंक पानी के कारण भरे हुए है।हमारे घरों में टॉयलेट का पानी इधर उधर भरा रहता है।घर की सारी सफाई , शुचिता ,सब खत्म हो गई है पूजा पाठ तक करने के लिए कोई जगह पवित्र नही है।
इन सभी परेशानियों का कारण जलभराव है।

गौरतलब है कि अस्पताल के अंदर पानी निकासी का कोई स्थाई इंतजाम बना ही नहीं है।जितने भी नाले नालियां बने है सभी अस्पताल के अंदर तक ही सीमित है। इन नालों को किसी बड़े नाले से जोड़ा नही गया है।अस्पताल के अंदर बने बड़े बड़े टैंको में पानी जमा होता है, हर वर्ष लाखो रुपए पानी भर जाने पर उन्हे टैंकरों के द्वारा खाली करवाये जाने पर खर्च किया जाता है।

अस्पताल निर्माण के बाद से आज तक 72 वर्षो के बाद भी जिला प्रशासन एवम अस्पताल प्रशासन ने इसके निवारण के लिए प्रयास करना तो दूर इसकी सुधि तक लेना ठीक नही समझा। इसी के चलते समस्या ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया।

इस समस्या के बारे में जवाब देते हुए प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर इंदु बाला ने बताया कि समस्या तो बड़ी है लेकिन पूर्व में इस संबंध में कोई ठोस उपाय नहीं किए गए जिसके चलते यह अभी भी बनी हुई है। इस संबंध में जिला प्रशासन की ओर से भी उन्हे लिखित सूचना प्राप्त हुई है की इसका निदान किया जाए। किंतु बात यह है कि इसके लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार कर संपूर्ण अस्पताल परिसर के पानी निकासी के लिए नालियों का जाल बनाना होगा,उसे किसी ऐसे नाले से जोड़ना होगा जिसके जरिए पानी बाहर निकल सक। लेकिन मुझे अभी इसके फौरी जल निकासी के इंतजाम के लिए कहा गया है।जिसके लिए नगर पालिका के द्वारा हमे टैंकर उपलब्ध कराए जाने का आश्वासन प्राप्त हुआ है,लेकिन टैंकर के तेल खर्च को वहन करने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन को सौंपी गई है,परेशानी की बात यह है की इस तेल खर्च के लिए कोई अलग से बजट नही है ऐसी हालत में मैने उच्चाधिकारियों एवम जिला प्रशासन को पत्र भेजा है कि इसके बजट का कोई प्रबंधन कराया जाए। फिलहाल पानी की आपूर्ति के लिए किसी तरह पम्प हाउस का संचालन कराया जा रहा है।

About the author

अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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