आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार जमा राशि में सालाना आधार पर 10.2 प्रतिशत की तुलना में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि कर्ज का उठाव एक साल पहले के 6.5 प्रतिशत की तुलना में 17.9 प्रतिशत बढ़ा गया है । भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास आज सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) के साथ बैठक कर रहे हैं। बैठक में धीमी जमा वृद्धि और ऋण की ऊंची मांग को बनाए रखने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जायेगी।
बैंकों में धीमी जमा वृद्धि के कारणों में मुख्य रूप से लोगों की अपनी जमा राशी की सुरक्षा की चिंता है क्योंकि समय समय पर निजी और सहकारी बैंकों में हो रही अनिमितायें हैं। हालाँकि सरकार द्वारा 5 लाख तक की बैंक जमा पर सुरक्षा की गारंटी दी है, लेकिन इससे जयादा जमा राशी रखने वालों को सुरक्षा की चिंता रहती है ।
दूसरा कारण बैंकों ने खुद पैदा किया हुआ है । जयादातर बैंक अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स जैसे जीवन और स्वास्थ्य बीमा, म्यूच्यूअल फंड को बेचने पर जोर देते हैं। जिसके लिए बैंक अपने कर्मचारियों पर टारगेट्स का दबाव डालकर इन थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स को बेचते हैं । इससे बैंकों में होने वाली जमा राशी इन थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स में चली जाती हैं ।
रिजर्व बैंक को बैंकों में जमा राशी वृद्धि के लिए जहाँ एक और ग्राहकों को उनकी पूरी जमा राशी की सुरक्षा की गारंटी देने की आवश्यकता है, वहीँ बैंकों द्वारा थर्ड पार्टी प्रोडक्ट्स के बिजनेस को बंद करके उन्हें केवल बैंकिंग पर ध्यान देने के लिए कहना चाहिए ।
अशवनी राणा