अदभुत है उम्रदराज नवांकुर रचनाकारों का रचना संसार और उनसे संवाद : विजयश्री तनवीर
“कथा संवाद” में प्रस्तुत जीव-जगत की कहानियां भी की जाएंगी पुरस्कृत
ग़ाज़ियाबाद। कथा रंग द्वारा आयोजित “कथा संवाद” में सुनाई गई कहानियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुप्रसिद्ध लेखक अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि यह आयोजन भविष्य के रचनाकारों के लिए जमीन तैयार कर रहा है। एक मशीनी शहर में कथा-कहानी का पूरा खेत तैयार हो गया है। जो भविष्य के प्रति हमें आश्वस्त करता है। लाज़िम है कहानी की एक लहराती फसल हम भी देखेंगे।
उन्होंने कहा कि कहानी में पात्र ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। लिहाजा वह लाजवाब होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में उन्हें अच्छे-बुरे दोनों पात्र मिले। लेकिन लाजवाब व दिलचस्प पात्र बनारस में ही मिले। उन्होंने कहा कि पात्र गढ़ने के मामले में अमरकांत और चेखव का कोई सानी नहीं है।
होटल रेडबरी में आयोजित “कथा संवाद” में बतौर अध्यक्ष श्री बिस्मिल्लाह ने कहा कि आज के दौर की अधिकांश कहानियां सुशासन की मिसाल के तौर पर पेश की जा रही हैं। लेखक को रचना में यथार्थ से समझौता नहीं करना चाहिए। लेखक को स्वयं को इन खतरों से बचाना चाहिए, क्योंकि आप से ही आने वाली पीढ़ी सबक लेती है। उन्होंने कहा कि आज कहानी की आलोचना नहीं होती। उन्होंने नए लेखों का आह्वान करते हुए कहा कि नए रचनाकारों को संभावनाओं को खुद पहचानना होगा। मर्म तलाशना होगा। मर्म से ही कहानी बनती है। उन्होंने कहा कि कहानी किसी तय मंजिल का सफर नहीं है। सफर का महत्व भी तब है जब हम मंजिल तक भटक कर पहुंचते हैं। कहानी भी अपनी तरह से ट्रैवलिंग करती है। सीधी रेखा कहानी नहीं होती।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विजयश्री तनवीर ने कहा कि इस कार्यक्रम में वह पहले भी शिरकत कर चुकी हैं। उम्रदराज नवांकुर रचनाकारों के साथ संवाद की यह परंपरा नए सीखने वालों के लिए संजीवनी से कम नहीं है। संयोजक सुभाष चंद्र ने कहा कि नए कथाकारों के साथ उनकी कहानियों पर विमर्श का यह प्रयोग उनके लेखन को मांजने के साथ उन्हें गढ़ने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि नए लेखकों को धीरज और धैर्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। आयोजक आलोक यात्री ने कहा कि अधिकांश रचनाकार कहानी को जल्द से जल्द समाप्त करने की आतुरता दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि कहानी जहां तक विस्तार मांगती है वहां तक उसके साथ चलना चाहिए। “कथा संवाद” का शुभारंभ नेहा वैद की पशु प्रेम पर आधारित कहानी “गुड्डू और चितकबरी” से हुआ। सुभाष अखिल ने कहा कि आज जीवजगत की कहानियां कम ही देखने को मिल रही हैं। उन्होंने इस तरह की रचनाओं को भी पुरस्कृत करने की पैरवी की। तेजवीर सिंह ने कहा कि सोसायटी में पशु प्रेमियों और विपक्षियों में कुत्तों को लेकर एक तरह से तीसरा विश्व युद्ध छिड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि नेहा वैद की कहानी का फलक बड़ा है लिहाजा इस कहानी पर नए सिरे से काम किया जाना चाहिए।
संयुक्त परिवारों में रिश्तों के दरकने की पीड़ा बयान करती विनय विक्रम सिंह की कहानी “चाय का कुल्हड़” और रेनू अंशुल की कहानी “पिताजी” भरपूर सराही गईं। रेनू अंशुल की कहानी पर टिप्पणी करते हुए आलोक यात्री ने कहा कि कहानी का शीर्षक और कथ्य इस बात का सुबूत हैं कि कहानी को एक बने-बनाए फ्रेम में फिट करने की कोशिश की गई है। संस्था के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने जौनसार बावर क्षेत्र की पृष्ठभूमि पर आधारित रचना “क्रांति” का पाठ किया। मनु लक्ष्मी मिश्रा की कहानी “धूप में छांव” भी खासी सराही गई। कहानी में कुछ चित्रण के समावेश की भी उन्हें सलाह दी गई। सुभाष अखिल की कहानी “यातना शिविर” की सभी ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की। श्री बिस्मिल्लाह ने कहा कि कहानी में दो कथानक और दो विभिन्न पात्र समानांतर चल रहे हैं। दोनों पात्र और कहानियों को अलग किए जाने से पात्रों के साथ न्याय होगा। कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया।इस अवसर पर आद्विक प्रकाशन की ओर से प्रकाशित पुस्तक “शंकर पर आसंख वंदन”, “रहगुज़र”, “सीने गीत” व “सिक्किम एक स्वर्ग और भी” का विमोचन किया गया।
इस मौके पर योगेश अवस्थी, डॉ. बीना शर्मा, अशोक गुप्ता, शकील अहमद सैफ, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, रणमत सिंह, पं. सत्य नारायण शर्मा, राष्ट्रवर्धन अरोड़ा, वीरेंद्र राठौर, ए. आर. जैदी, रवि शंकर पांडेय आर. सी. गुप्ता, निशांत शर्मा, अजय शर्मा, प्रताप सिंह, विकास कुमार व सिमरन सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।