ई-कॉमर्स पार्सल डिलीवरी में 10 फीसद वृद्धि का अनुमान
लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क क्लीन मोबिलिटी कलेक्टिव (सीएमसी) और स्टैंड.अर्थ रिसर्च ग्रुप (एसआरजी) की एक नई शोध रिपोर्ट में भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में 2030 तक मौजूदा स्तर से दस गुना वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में प्रति वर्ष 4 बिलियन (400 करोड़) पार्सल की डिलीवरी की जाती है जिसके 2030 तक बढ़कर 40 बिलियन (4,000 करोड़) पार्सल हो जाने का अनुमान है, जिससे इस क्षेत्र से 2030 तक 8 मिलियन (80 लाख) टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड का कुल वार्षिक उत्सर्जन (इमिशन) होगा.
यह एक वर्ष में 16.5 लाख पेट्रोल कारों या गैस से चलने वाले 20 बिजली संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन के बराबर है.
वैश्विक ई-कॉमर्स बाजार में भी बहुत अधिक वृद्धि का अनुमान है. साल 2022 में पूरी दुनिया में कुल 315 बिलियन (31,500 करोड़) पार्सल की डिलीवरी की गई, जो अनुमान के मुताबिक 2030 तक दोगुने से अधिक बढ़कर सालाना 800 बिलियन (80,000 करोड़) पार्सल हो जाएगा. रिपोर्ट इस तथ्य पर भी प्रकाश डालता है कि डिलीवरी में इस जबरदस्त बढ़ोतरी से 2030 में 160 मिलियन (16 करोड़) टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड (CO2) का कुल उत्सर्जन होगा, जो गैस से चलने वाले 400 बिजली संयंत्रों से होने वाले उत्सर्जन के बराबर है.
नवीनतम सीएमसी/एसआरजी रिपोर्ट, “कॉस्ट ऑफ़ कन्वीनियंस: रिवीलिंग द हिडेन क्लाइमेट एंड हेल्थ इम्पैक्ट्स ऑफ़ द ग्लोबल ई-कॉमर्स ड्रिवेन पार्सल डिलीवरी इंडस्ट्री थ्रू 2030” के मुताबिक परिवहन क्षेत्र, जिसका ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वैश्विक स्तर पर पहले से बहुत बड़ा योगदान है, से होने वाले उत्सर्जन में 2030 तक बहुत अधिक वृद्धि का अनुमान है. रिपोर्ट का पूर्वानुमान है कि सिर्फ लास्ट माइल डिलीवरी से होने वाला वैश्विक वार्षिक ई-कॉमर्स उत्सर्जन 2030 तक काफी उच्च स्तर पर पहुंचकर प्रति वर्ष 1.6 लाख टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन कर सकता है.
क्लीन मोबिलिटी कलेक्टिव के इंडिया कोऑर्डिनेटर सिद्धार्थ श्रीनिवास ने कहा, “आने वाले वर्षों में ई-कॉमर्स और तेजी से बढ़ेगा, ऐसे में उद्योग को अपने बढ़ते इमिशन फुटप्रिंट की समस्या से निपटने की आवश्यकता है. इस क्षेत्र से कार्बन उत्सर्जन ख़त्म करना न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है और भारत के विशाल आयात खर्च को बचाएगा, बल्कि उत्सर्जन और वायु प्रदूषण को कम करने और उससे बचने के अन्य फायदे भी हैं.
रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि 2023 से 2030 तक अगर व्यापार का यही वर्तमान परिदृश्य बना रहा, तो भारतीय के लोजिस्टिक मार्केट की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कंपनियां, जैसे अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट और डीएचएल सामूहिक रूप से अतिरिक्त 17 मिलियन (1.7 करोड़) टन कार्बन-डाई-ऑक्साइड का उत्सर्जन करेंगी.