अपराध उत्तर प्रदेश गोंडा

गंभीर अपराधों में भी पुलिस कर रही खेल, फरसे के वार को लाठी बता घटना को कमजोर करने का प्रयास

रास्ते के विवाद में चले फरसे, मरणासन्न लखनऊ रेफर 

गोण्डा। थाना कोतवाली नगर क्षेत्रांतर्गत पूरेशिवा बख्तावर के जै जै राम पुरवा में रास्ते के विवाद में गांव के ही जटाशंकर, विशाल, सूरज ने अपने पट्टीदार अनूप तिवारी को फरसे से मारकर मरणासन्न कर दिया। साथ में अनूप के लड़के देव प्रकाश तिवारी एवं उनकी पत्नी ममता को भी चोटें आई। बेहोश अनूप तिवारी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से डाक्टर ने उनकी गम्भीर स्थिति को देखते हुए तत्काल उन्हें इलाज हेतु मेडिकल कॉलेज लखनऊ रेफर कर दिया। लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में अनूप तिवारी अभी ज़िन्दगी मौत की जंग लड रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में उनका शुक्रवार को उनका ब्रेन का आपरेशन होने की बात वहां के चिकित्सकों ने बताई थी। खबर लिखे जाने तक अनूप होश में नहीं थे।

प्राप्त समाचार के अनुसार गत गुरुवार को शाम 04 बजे रास्ते में गाड़ी खड़ी करने को लेकर हुए विवाद में जटाशंकर तिवारी और उनके लड़कों ने अनूप तिवारी पर फरसा लाठी से हमला बोल दिया। जिसमें जटाशंकर ने फरसे से अनूप तिवारी पर वार किया जिससे वे बेहोश होकर गिर पड़े। बचाने आए उनके लड़के देव प्रकाश एवं उनकी बहू ममता पर भी इन लोगों ने लाठी डंडे से हमला किया , जिससे सबको चोटें आई। लोगों की मदद से अनूप तिवारी को गम्भीर अवस्था में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से इनकी हालत को देखते हुए तत्काल चिकित्सक ने इन्हें लखनऊ रेफर कर दिया।

दरोगा राजेन्द्र कनौजिया ने उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आश्वासन देकर लखनऊ ले जाकर इलाज कराने की सलाह दिया, परन्तु शाम सात बजे मामले पर 323,504,506 जैसी मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। जबकि विवेचक राजेन्द्र कनौजिया के सामने ही अनूप के परिजन पूछने पर फरसे से मारने की बात करते रहे। फिर भी न तो धारदार हथियार से चोट और न ही जानलेवा हमले की धाराएं लगाई गई।

खबर लिखे जाने तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं अगर पुलिसिया कार्यप्रणाली की बात की जाये तो जनपद के सभी थानों के आसपास तहरीर लिखने के लिए प्रायवेट आदमी रहता है और वह प्रत्येक तहरीर पर 40-50 रुपए पीड़ित व्यक्ति से मेहनताना के रूप में लेता है। उस व्यक्ति को पुलिस द्वारा पहले ही निर्देश रहता है कि तहरीर ऐसी होनी चाहिए कि जिसमें गम्भीर अपराध न दर्शाया गया हो। इसलिए उनको हुए अपराध से मतलब नहीं रहता है बल्कि अपराध को कमसे कम दर्शाने के लिए तहरीर लिखी जाती है। घर में किसी के गम्भीर होने से परिजन पहले ही होश खोये रहते हैं ऐसे में पैसा देकर तहरीर लिखवा कर पीड़ित केवल हस्ताक्षर कर देता है। साथ ही अनपढ़ के साथ भी उसकी फरियाद सुनकर घटना को देखते हुए तहरीर न लिखकर मात्र एनसीआर की तहरीर लिखवा कर उस पर अंगूठा लगवा लिया जाता है। यदि कोई खुद तहरीर देता है तो उसकी तहरीर फाड़कर उसमें से गम्भीर अपराध के शब्दों को हटाने या फिर उसी जगह से तहरीर लिखाने की सलाह दी जाती है। इससे अपराध करने वालों के हौसले बुलंद हो जाते हैं और वह दुबारा गम्भीर अपराध करते हैं, जबकि पुलिस के रिकार्ड में अपराध कम ही दिखाई देता है।

प्रकरण पर नगर कोतवाल राकेश कुमार सिंह से बात करने पर उन्होंने कहा कि लखनऊ से इलाज उपरान्त जो भी मेडिकल रिपोर्ट होगी वह सभी धाराएं बढ़ाई जाएगी। वहीं विवेचक राजेन्द्र कनौजिया से बात करने पर उन्होंने कहा कि फरसा नहीं बल्कि लाठी की चोट है जो डाक्टर ने बताया है। चोट काफी गंभीर है। लखनऊ से एक्सरे व अन्य रिपोर्ट के आधार पर आगे धाराएं बढ़ाई जाएगी। गिरफ्तारी हेतु दबिश दिया था। घर पर कोई नहीं मिला।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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