उत्तर प्रदेश संस्कृति

शरद कालीन मेला पहुंचा अपने अंतिम चरण में

Written by Vaarta Desk

चकरनगर/इटावा। गौहानी ग्राम पंचायत अंतर्गत कार्तिक पूर्णिमा के पर्व पर 2 नवंबर से शुरू हुआ श्री नरसिंह मेला अब अंतिम चरणों मैं पहुंच कर समापन की ओर जा रहा है।मेला श्रीनरसिंह मंदिर के सामने विशाल मैदान पर स्वर्गीय रघुबीर सिंह चौहान की पुण्य स्मृति में विगत करीब 28 वर्षों से अनवरत लगता चला आरहा है।जिसमें करीब सैकड़ों दुकानों के अलावा विभिन्न तरह के झूले, सर्कस, मैजिक शो, मौत का कुआं आदि दुकानदार समय से आकर अपने-अपने प्रतिष्ठान स्थापित करते हैं।

 

मेला समिति के अध्यक्ष स्वयंवर सिंह चौहान ने बताया कि दुकानों के आवंटन का कार्य बड़ी ही सूझबूझ और समिति के परामर्श द्वारा किया जाता है ताकि जहां एक तरफ दुकानदारों को दुकान लगाने में परेशानी ना हो तो वही खरीदारी करने वाले ग्राहकों को भी कोई असुविधा का सामना न करना पड़े। मेले में लगने वाली दुकानों में बर्तन, लोहा सामान, खिलौने, कपड़ा, सर्राफा आदि की प्रमुखता होती है। इसके अलावा चाय पान स्वल्पाहार से लेकर भोजनालय व्यवसाई तक मेले में व्यवसाय करते हैं।हाईटेक होते इस युग में भी श्री नरसिंह मेले ने अपनी ग्रामीण संस्कृत को बरकरार रखा है। आज भी गांव के लोग श्री नरसिंह मंदिर को बड़ी ही दयालुता श्रद्धा भक्ति के साथ स्मरण करते हैं। मेले में ग्रामीण संस्कृति झलकती है। टीवी,वीडियो, सीडी से लेकर लैपटॉप पर उपलब्धता के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोगों को महारास लीला में श्री भगवान कृष्ण की झांकी प्रस्तुत कर भक्तों के अंदर श्रद्धा भाव की पुनरावृति की जाती है।

 

मेला मलिक/प्रवंधक मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि मेला में हर दुकानदार की सुरक्षा का मेला समिति की तरफ से पूरा प्रबंधन होता है कहीं भी किसी भी दुकानदार को कोई परेशानी का सामना नहीं करना पडता है।मेला प्रबंधक ने बताया कि यह कार्यक्रम अनवरत चलता हुआ 2 दिसंबर से शुरू होकर 8 दिसंबर को समाप्त होने जा रहा है। मंच संचालक डॉ ब्रह्मा कुमार मिश्रा व तेजेंद्र सिंह चौहान के द्वारा हर कार्यक्रम की प्रस्तुति सुरुचि पूर्ण निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होती है ताकि महारास लीला में किसी प्रकार का कोई व्यवधान पैदा न हो।

मेला में व्यवस्था की देखरेख करने वाले व अनुशासन की प्रक्रिया को सही अंजाम देने के लिए समिति के अध्यक्ष/व्यवस्थापक बंगाली बाबू तिवारी,वरुण कुमार तिवारी, राकेश सविता, पंडित नरेश चौधरी, ब्रह्मानंद तिवारी, शिवकेश पाँडेय, ग्राम प्रधान पंकज कुमार, पूर्व प्रधान डॉक्टर विश्वनाथ प्रताप सिंह, विनोद तिवारी, लक्ष्मण सिंह चौहान, श्याम सिंह चौहान, पिंटू सविता, रघुवीर गुप्ता व उनके सहयोगी परिजन तन मन धन से संपूर्ण ग्राम वासियों और क्षेत्र वासियों को साथ लेकर मेला की बढ़ती गति को सही अंजाम देने में पूर्ण लगन प्रभाव से दिन और जुटे रहते हैं। मेला में दुकानें तो एटा, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, भिंड आदि जगहों से आती हैं पर जो मूसानगर कानपुर की दुकान आती है उसका अंदाज ही अलग है और बताया जाता है की सबसे ज्यादा बिक्री इस विशालकाय दुकान की होती है जो दुकानदार प्रति वर्ष बेहद खुश होकर जाता है। कार्यक्रम में चार चांद लगाने के लिए समिति के द्वारा बड़े-बड़े नेताओं को बुलाकर समय-समय पर उनसे फीता कटवा कर मेला में रौनक बढ़ाने और रंग बरसने का कार्य किया जाता है।

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