उत्तर प्रदेश गोंडा लाइफस्टाइल स्वास्थ्य

मायूस लावारिश मरीजों को मिले परिजन, अपनों से मिल कर चेहरे खुशी से दमके

मेडिकल कालेज हेल्प डेस्क ने निभाई अहम भूमिका

अस्पताल प्रशासन ने पेश की इंसानियत की अनूठी मिसाल

गोंडा। बाबू ईश्वर शरण स्वाशासित राज्य मेडिकल कालेज चिकित्सालय के आइसोलेशन विभाग में भर्ती दो लावारिश मरीजों को चिकित्सालय का हेल्प डेस्क मैनेजमेंट परिजनों से संपर्क कर उन्हे सुरक्षित घर भेजने में सफल रहा। चिकित्सालय प्रशासन ने सफलतापूर्वक मरीजों को घर वालों के सुपुर्द कर इंसानियत की अनूठी मिसाल पेश की है। जिसकी सराहना सभी कर रहे है।

इन्हे सुरक्षित घर भेजने में मिली सफलता

बुधवार को सुबह करीब 11:00 बजे आइसोलेशन में सांस की बीमारी के चलते भर्ती लावारिश मरीज समुद्रा देवी पत्नी लालदेव गुप्ता निवासी चक मंसूर थाना वा जिला बेगूसराय बिहार को अस्पताल प्रशासन ने परिजनों से संपर्क कर उन्हे सफलता पूर्वक सुरक्षित घर भेज दिया है। समुंदरा देवी को 15/ जुलाई को शाम 07:00 बजे रेलवे के जीआरपी ने अज्ञात में मेडिकल कालेज चिकित्सालय में भर्ती कराया था। जहां बात चीत के दौरान उसने बताया था की वह घर से गंगा नहाने के लिए निकली और भटक कर ट्रेन से गोंडा पहुंच गई थी। बुधवार 28 अगस्त को उसका बेटा चंदन कुमार चिकित्सालय पहुंचा। जहां अस्पताल प्रशासन ने समुंदरा देवी को उसके सुपुर्द कर दिया। वहीं इसी वार्ड में भर्ती दूसरे मरीज राजकुमार पाण्डेय उर्फ राजू निवासी पांडे पुरवा थाना परसपुर को भी परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। उसे लेने के लिए उसका भाई आया हुआ था। चिकित्सालय प्रशासन ने जब मरीजों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया तो,मरीजों के चेहरे खुशी से चमक उठे। समुन्दरा देवी तो बेटे को पाकर खुशी से रोने लगी।साथ आया नाती विनोद कुमार नानी से लिपट कर खूब रोया।

पूर्व में भी कई लोगों की घर भेजने में सहायता की है हेल्प डेस्क मैनेजमेंट ने

गौर तलब है कि चिकित्सालय में स्थापित हेल्प डेस्क के द्वारा चिकित्सालय में आने वाले मरीजों की मदद के लिए राज्य सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के लिए कार्य किया जाता है। जिसकी जिम्मेदारी मैनेजर अनिल वर्मा को सौंपी गई है। लावारिश भर्ती मरीजों को लेकर अस्पताल प्रशासन अक्सर उहापोह की स्थिति में होता है। अधिकतर मरीजों का अंत तक नाम पता नही चल पाता है और मृत्यु होने पर लावारिश ही दर्ज रहते हैं। इसी तरह कई मरीजों की जानकारी किसी तरह हो भी जाती है तब भी घर वाले उन्हें लेने से इंकार कर देते हैं। ऐसी स्थिति में अस्पताल प्रशासन को प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर उन्हे सफलता पूर्वक भेजने का कार्य किया जाता है। वही कुछ मरीज ऐसे होते हैं जो भूलवश भटक कर यहां आ जाते है और जब उनके बारे में जानकारी होती है तो उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हे सुरक्षित घर भेज दिया जाता है। इसके पूर्व भी हेल्प डेस्क के द्वारा कई मरीजों को सुरक्षित उनके घर भेजने में अहम भूमिका निभाई जाती रही है। इनमे 2023 में महाराष्ट्र जलगांव के निवासी अनिल पाटिल को 08/ अगस्त को चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था और सितंबर 30 को उसे वापस उसके परिजनों को सौंप गया था। तब इस कार्य के लिए हेल्प डेस्क मैनेजमेंट की खूब सराहना की गई थी। आज बुधवार के दिन एक बार फिर से चिकित्सालय में बिछड़े परिजनों से मिलने के बाद मरीजों के घरवालों ने चिकत्सालय प्रशासन की जमकर सराहना की।

इस संबंध में मेडिकल कालेज सुप्रिटेंडेंट डॉक्टर एम डबलू खान ने बताया कि सामान्य मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखकर ,पुलिस प्रशासन के सहयोग से परिवार के सदस्यों से संपर्क कर बुधवार के दिन सुबह उन्हे उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। जिसमे चिकित्सालय के हेल्प डेस्क मैनेजमेंट अनिल वर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका है।

इसे भी पढ़े :- स्वार्थी रिश्तों की कहानी, आइसोलेशन में भर्ती मरीजों की जुबानी

ज्ञात हो की लगभग तीन सप्ताह पूर्व समाचार वार्ता ने “स्वार्थी रिश्तों की कहानी, आइसोलेशन में भर्ती मरीजों की जुबानी” शीर्षक से समाचार का प्रकाशन किया था जिसमे अपनों द्वारा तिरस्कृत और ठुकराये गए ऐसे लोगो के बारे में प्रमुखता से शासन प्रशासन और असम जन को अवगत कराया गया था जिन्हे अस्पताल प्रशासन ने सकुशल उनके परिजनों से मिलाने और उन्हें सौपने का सराहनीय कार्य किया है।

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अशफ़ाक़ शाह

(संवाददाता)

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