बैंक कर्मचारियों पर आजकल हमले की घटनाएं बढती जा रही हैं। अगस्त महीने में ही हमले की कई घटनाएँ हो गई हैं। जो कि चिंता का विषय है। 31 अगस्त को पंजाब के एक बैंक अधिकारी पर उस समय हमला हुआ जब वो गाँव में लोन की रिकवरी करने के लिए गया हुआ था। इसके अलावा मध्य प्रदेश के सिंगरौली, ग्वालियर, उतर प्रदेश के एटा, राजस्थान के भरतपुर और अनेकों राज्यों में भी रिकवरी करने गई टीमों पर हमले की घटनाएँ सामने आई हैं। महाराष्ट्र में तो पुलिस की उपस्थिति में ही स्थानीय लोगों ने बैंक मैनेजर की बैंक के अन्दर ही पिटाई की जिसका वीडियो भी काफी वायरल हुआ है। ये तो कुछ उदाहरण मात्र है जबकि हर वर्ष सेंकडों घटनाएँ होती हैं लेकिन सामने नहीं आती।
आये दिन बैंक कर्मचारियों पर बैंक के अन्दर और बाहर हमले के समाचार आ रहे हैं। कुछ हमले की घटनाएँ स्थानीय समाचार पत्रों में छप जाती हैं लेकिन प्रमुख समाचार पत्र या टी.वी. चैनल पर यह समाचार न छपते हैं और न ही दिखाए जाते हैं। कई बार तो स्थानीय पुलिस और प्रशासन का रवैया भी अच्छा नहीं होता जिससे हमले करने वालों को और बल मिलता है और वो बेरोकटोक हमले करते रहते हैं।
देश की अर्थव्यवस्था में दिन रात योगदान कर रहे और सरकार की सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं को कम स्टाफ के बाद भी लागू कर रहे बैंक कर्मचारियों अधिकारियों को अपनी सुरक्षा की चिंता हो रही है। वित्त मंत्रालय, बैंक प्रबन्धन तुरंत इस तरफ ध्यान दे और इनको रोकने के लिए सख्त कदम उठायें। ज्यादातर बैंक शाखओं में आजकल गार्ड भी नहीं हैं, उनकी नियुक्ति भी की जाए। ज्यादातर हमले की घटनाएँ रिकवरी करने गई टीमों पर होती हैं। सभी बैंकों में संवेदनशील इलाकों में रिकवरी पर जाने वाली टीमों को सुरक्षा कर्मचारी के साथ भेजना चाहिए।
अशवनी राणा
फाउंडर
वॉयस ऑफ़ बैंकिंग