तीन माह बाद भी नहीं दर्ज की वरासत, पीड़ित लगा रहा चक्कर
गोण्डा। एक तरफ जिलाधिकारी का ऑनलाइन वरासत के संबंध में सख्त आदेश है कि वरासत के लिए किसी भी आवेदक को अनावश्यक ना दौड़ाएं। वहीं दूसरी तरफ राजस्व निरीक्षक व लेखपाल ऑनलाइन वरासत के लिए जिला अधिकारी के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां। ऑनलाइन वरासत करने वाले आवेदकों को अनावश्यक लगवा रहे तहसीलों का चक्कर। और कर रहे आवेदन को बगैर किसी जांच पड़ताल के अनावश्यक निरस्त ।
ऐसा ही एक मामला सदर तहसील गोंडा का है। जहां पीड़ित वेद प्रकाश श्रीवास्तव पुत्र शिव शंकर लाल निवासी ग्राम बड़गांव गोंडा की माता श्रीमती सावित्री देवी का देहांत निधन 7 अप्रैल 2022 को हो गया था। सावित्री देवी के नाम से गाटा संख्या 100 खाता संख्या 00269 दर्ज खतौनी अंकित है।पीड़ित द्वारा वरासत हेतु ऑनलाइन आवेदन 15 जुलाई 2024 को कंप्यूटरीकृत आवेदन संख्या 202481830092004103 किया गया । जिस पर राजस्व निरीक्षक व लेखपाल द्वारा बगैर किसी जांच पड़ताल के दिनांक 20.7.2024 को उपरोक्त कथन कि खातेदार का खतौनी में नाम न होने के कारण निरस्त किया जाता है।
इसके बाद पीड़ित ने वरासत के लिए संपूर्ण समाधान दिवस में दिनांक 22.7.2024 को शिकायत संख्या 30092 824001003 क्षेत्रीय लेखपाल गोंडा द्वारा वरासत न किए जाने के संबंध में समाधान दिवस में बैठे अपर जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर अपनी व्यथा कही । इसके बाद अपर जिला अधिकारी ने लेखपाल को बुलवाकर सख्त हिदायत देते हुए कहा कि पीड़ित का वरासत नियमानुसार जांचों उपरांत कर दे और पीड़ित दोबारा इस संबंध में शिकायत लेकर ना आए।
इसके बावजूद लेखपाल ने अपर जिला अधिकारी के आदेशों को अनसुना कर पीड़ित को फोन पर यह सूचना दी की आप पुनः ऑनलाइन आवेदन कर दें। जांचोंपरांत नियमानुसार प्रपत्र प्राप्त होते ही ऑनलाइन वरासत दर्ज कर दिया जाएगा। इसके बाद पीड़ित ने दिनांक 5.8.2024 को वरासत हेतु ऑनलाइन आवेदन कंप्यूटरीकृत आवेदन संख्या 2024818300928004727 पर किया। इसके बाद बडगांव क्षेत्र के लेखपाल ने पीड़ित को कई चक्कर तहसील का लगवाया। और अंत में दिनांक 29 09 2024 को क्षेत्रीय लेखपाल व राजस्व निरीक्षक ने बगैर किसी जांच पड़ताल के पुनः वही रिपोर्ट की आवेदन राजस्व निरीक्षक द्वारा निरस्त किया गया। और निरस्त करने का कारण खतौनी में खातेदार का नाम न होने का कारण दर्शाया गया ।
जबकि तहसील की प्रत्येक लेखपालों के पास एक खसरा खतौनी का रजिस्टर उपलब्ध होता है। यही नहीं मल्टीमीडिया ऑनलाइन मोबाइल के जमाने में ऑनलाइन खतौनी जांच करने का भी माध्यम उपलब्ध होता है।
ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि या तो लेखपालों को उच्च अधिकारियों का आदेश कोई मायने नहीं रखता? या वे ऐसा जानबूझकर फरियादियों को दौड़ाने के लिए करते हैं या कोई और चक्कर! ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या लेखपालों के पास खसरा खतौनी रजिस्टर उपलब्ध नहीं होता या वे उसे देखना ही नहीं जानते? या वे मल्टीमीडिया मोबाइल के जमाने में ऑनलाइन खतौनी भी चेक करना नहीं जानते? या जिलाधिकारी के सख्त आदेशों के बावजूद पीड़ितों को अब ऑनलाइन वरासत के लिए तहसीलों का चक्कर लगाना उनकी नियति बन गई है?
खैर पीड़ित ने अब वरासत के लिए जिला अधिकारी का दरवाजा खटखटाया है। और जिला अधिकारी को शिकायती पत्र देकर वरासत करने का गुहार लगाया है। पीड़ित की शिकायती पत्र पर जिला अधिकारी ने सदर उप जिला अधिकारी को जांच का आदेश दिया है। जब इस संबंध में राजस्व निरीक्षक सुशील शर्मा से उनके दूरभाष पर संपर्क कर उनका पक्ष जानना चाहा तो ऐसे में उन्होंने यह बताया कि जो लेखपाल रिपोर्ट लगते है हम उसी को वेरिफाई कर देते है । आप इस संबंध में लेखपाल से वार्ता कर ले । जब संवाददाता ने इस संबंध में लेखपाल संतोष श्रीवास्तव से उनके दूरभाष पर संपर्क किया गया तो मोबाइल की घंटी तो बजी लेकिन कॉल रिसीव नहीं किया गया।