कहने को तो मेडिकल कालेज लेकिन व्यवस्था पी एच सी की भी नहीं
गोण्डा। यूँ तो जिले को मेडिकल कालेज मिल गया, निर्माण भी हो गया, कल ही शैक्षणिक सत्र भी शुरू हो गया, डाक्टरों की लम्बी चौड़ी फौज भी तैनात हो गईं लेकिन जिम्मेदारी का अहसास न तो अस्पताल प्रशासन को हुआ और न ही चिकित्सकों को, लापरवाही का आलम तो ये है की दो बजे तक चलने वाली ओ पी डी में 12 बजे भी डाक्टर नहीं बैठते, भले मरीजों की लम्बी लाइन ही क्यों न लग जाये।
जी हाँ हम बात कर रहे है पूर्व बाबू ईश्वरशरण जिला चिकित्सालय और वर्तमान स्वशाशी राज्य मेडिकल कालेज की जिसके कोविड भवन में त्वचा रोगियों के उपचार के लिए डाक्टर दीपक कुमार के साथ ही चर्म एवं गुप्त रोग विशेषज्ञ डाक्टर श्रुति गुप्ता तथा चर्म रोग सौन्दर्य एवं गुप्त रोग विशेषज्ञ डाक्टर आयुषी पाण्डेय को भी तैनात किया गया है।
कोविड भवन के अधीक्षक डाक्टर दीपक कुमार के अवकाश पर होने के बाद भी उनके कक्ष में ओ पी डी संभाल रही एक महिला डाक्टर तो पूरी तन्मयता के साथ अपनी ड्यूटी निभाती मिली जिसके सामने मरीजों की लम्बी लाइन भी लगी थी लेकिन वहीं डाक्टर आयुषी और डाक्टर श्रुति अपने चैम्बर से नदारद दिखाई दी जबकि समय दोपहर के लगभग 12 बज रहे थे। चैम्बर के सामने खड़े मरीजों को डाक्टरों की खाली कुर्सियां मुँह चिढ़ा रहीं थी।
ये तो रहीं चिकित्सकों के गैरजिम्मेदाराना रवैये की बात और प्रशासन के निक्कम्मेपन की बात करें तो चैम्बर से नदारद डाक्टरों की जानकारी के लिए ज़ब अस्पताल प्रबंधक अनिल वर्मा से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो दो दो बार फोन करने के बाद भी उन्होंने जानकारी देना तो दूर फोन रिसीव करना भी उचित नहीं समझा।
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