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कूड़े में फेंके जाते हैं मेडिकल वेस्ट, फिर किया जाता है आग के हवाले

स्वास्थ्य की जगह रोगों को जन्म दें रहा मेडिकल कालेज

गोण्डा। कहने को तो एक तरह से मेडिकल कालेज ने अपनी क्रियाओं के लिए सुचारु रूप से चलना आरम्भ कर दिया है, औपचारिकताओं की पूर्णतः के बाद कक्षाओं का संचालन भी आरम्भ हो गया लेकिन वास्तविकता की धरातल पर आकलन किया जाये तो स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्था के स्तर में आई जबरदस्त गिरावट ने लोगो को चिकित्सालय से दूर करना शुरू कर दिया है। व्यवस्थागत गिरावट का आलम तो ये है की सी एम एस के नेतृत्व में संचालित होने वाले जिला अस्पताल में शायद ही कभी मेडिकल वेस्ट को इधर उधर फेंका गया हो लेकिन व्यवस्था मेडिकल कालेज के अंतर्गत आते ही खुले में मेडिकल वेस्ट के फेंकने की घटना तो सामने आई ही उसे आग के हवाले भी किया गया जो पूरी तरह व्यवस्था के ठप होने का प्रमाण है।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं जिले के कथित मेडिकल कालेज की जिसे संचलित करने के लिए शासन ने जनता की गाढ़ी कमाई से वसूले गए अरबों रूपये गोण्डा की जनता के स्वास्थ्य को सुधारने की मंशा से खर्च कर दिए परन्तु मेडिकल कालेज प्रशासन गोण्डा की जनता को स्वास्थ्य की जगह रोगों को बाँटने की ओर बढ़ रहा है।

शासन ने अस्पताल से निकालने वाले मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए स्पष्ट नीति बना रखी है जिसके लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये खर्च भी किये जाते हैं लेकिन मेडिकल कालेज प्रशासन की लापरवाही और भ्रस्ट नीति के चलते उन्हें इधर उधर खुले में फेंका देखा जाना आम हो गया है, इतना ही नहीं उन्हें लोगों की दृष्टि से बचाने और अपने कुकृत्य को छुपाने के लिए आग लगाकर नष्ट करने का भी प्रयास किया गया जिसे संलग्न चित्रों में स्पष्ट देखा जा सकता है।

13 अक्टूबर को लिए गए चित्र में साफ दिखाई दें रहा है की खुले में कूड़े के ढेर के साथ भारी मात्रा में मेडिकल वेस्ट भी पड़े हुए हैं जबकि उसके ठीक दस दिन बाद यांनी 23 अक्टूबर को ज़ब उसी जगह का चित्र लिया गया तो कूड़े के साथ ही मेडिकल वेस्ट को भी आग के हवाले किया गया है इसका प्रमाण सामने आ गया।

खास बात तो ये है की लापरवाही और भ्रस्ट आचरण को छुपाने का ये कृत्य भी लापरवाही के साथ किया गया क्योंकि कूड़े और मेडिकल वेस्ट को जलाने के बाद भी इधर उधर बिखरे मेडिकल वेस्ट वैसे के ही वैसे रह गए।

प्रकरण पर मेडिकल कालेज प्रिंसिपल धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने का पक्ष जानने के प्रयास में किये गए संपर्क पर उनका फोन रिसीव न होने की दशा में वाहट्सएप्प के माध्यम से किये गए संपर्क पर उनकी ओर से इंक्वायरी कर अवगत कराने की बात कही गईं लेकिन समाचार लिखे जाने तक भी उन्होंने अपने पक्ष से अवगत नहीं कराया गया जो स्पष्ट करता है की मेडिकल कालेज प्रशासन इन गंभीर लापरवाही और भ्रस्ट आचरण के प्रति कितना अगंभीर है।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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