निजी डाक्टरों पर अपनी जमा पूंजी लुटाने को विवश गरीब जनता
प्रिंसिपल ने कही जल्द एक चिकित्सक के उपलब्ध होने की बात
गोण्डा। जिस नेत्र विभाग में एक समय पांच पांच चिकित्सक विभाग की शोभा बढ़ाते थे वो विभाग एक अदद स्थाई चिकित्सक के लिए तरस रहा है, हालांकि मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में तैनात एक चिकित्सक को नेत्र विभाग भेजा गया है जो सप्ताह में तीन दिन अपनी सेवा देकर औपचारिकता निभा रहे हैं, खास बात तो ये है की ये अव्यवस्था कोई आज की नहीं बल्कि पिछले तीन वर्षो से भी अधिक समय से चली आ रहीं है लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा गरीब जनता उठा रहीं है जिसे अपनी गाढ़ी कमाई को निजी चिकित्सकों पर लुटाने को विवश होना पड़ रहा है।
ज्ञात हो की लगभग तीन वर्ष पूर्व नेत्र विभाग के वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डा विकास शेट्टी की असमय मृत्यु और अन्य चिकित्सकों के स्थानांतरण के बाद लगभग दो बर्षो तक पूरी तरह चिकित्सक विहीन रहने के बाद एक वर्ष के लिए डा0 आयुषी सरदाना ने अपनी सेवाएं प्रदान की लेकिन जिले के नेत्र विभाग में उनका दिल ना लगने के कारण सितम्बर माह में उन्होंने स्थानांतरण करा लिया जिसके बाद सी एम ओ कार्यालय से उधार लेकर डा0 अरविन्द विश्वकर्मा को नेत्र विभाग सौंपा गया जो सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को अपनी सेवाएं देकर किसी तरह नेत्र विभाग के आँखों को खोले रखने का प्रयास कर रहे हैं।
जिले के नेत्र रोगियों की इस गंभीर समस्या को दूर करने के मेडिकल कालेज प्रिंसिपल डा0 धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जानकारी के लिए उनसे संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया की नेत्र चिकित्सक के लिए 5 बार विज्ञापन जारी किये गए जिसमे एक प्रोफेसर का चयन किया गया था लेकिन किन्ही कारणों से उन्होंने सेवा ग्रहण नहीं की फिलहाल के लिए एक सहायक प्रोफेसर का चयन किया गया है जो वर्तमान नियुक्त स्थल से जल्द ही मेडिकल कालेज में कार्यभार संभालेंगे।
हालांकि प्रिंसिपल द्वारा दिया गया आश्वासन कोई नया नहीं है ऐसे ही आश्वासन पहले भी कई बार जिम्मेदारों द्वारा दिया जा चुका है लेकिन नेत्र विभाग की बदहाली ज्यों की त्यों बनी हुई है, देखना तो ये है की प्रिंसिपल कोटास्थाने का आश्वासन भी पूर्व के आश्वासनों की तरह कोरा ही रहता है है या जिले के नेत्र रोगियों की आंखों में कोई रंग भी भरता है।
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