उत्तर प्रदेश गोंडा लाइफस्टाइल स्वास्थ्य

बूंद बूंद पानी को तरस रहे मरीज और तीमारदार, गन्दगी से पटे सिंक का प्रयोग करने को विवश

प्रिंसिपल ने दिए आवश्यक कार्यवाई के निर्देश

गोण्डा। कहने को तो जिले के बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय को मेडिकल कालेज का दर्जा मिल गया लेकिन मरीजों और उनके तीमारदारों को मिलने वाली बुनियादी सुविधाओं की खस्ताहाली पर कोई ध्यान न देकर उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।

हम बात कर रहे है मेडिकल कालेज में मरीजों के लिए उपलब्ध पेयजल की, देखा जाये तो अस्पताल में कोई चार पांच स्थानों पर पेयजल की व्यवस्था की गईं है लेकिन ये व्यवस्था न के बराबर है क्योंकि इन सभी जगहों पर लगी टोटियां बस मात्र अपनी उपस्थिति का ही अहसास कराती है,

इनसे निकालने वाला पानी बूंदों की शक्ल में तीमारदार और मरीजों को उपलब्ध होता है, कोई अगर एक बोतल पानी लेना चाहता है तो उसे कम से कम 10 मिनट उस टोटी को अपने कब्ज़े में रखना पड़ता है।

 

परिसर में लगे वाटर कूलर और आर ओ प्लांट की स्थिति भी दयनीय है, आर ओ प्लांट के बंद कमरे में लगे शीशे के दरवाजे से अंदर झाँकने पर प्लांट की दुर्दशा स्पष्ट हो जाती है, लगता है शायद वर्षों से प्लांट का दरवाजे को खोलकर उसकी साफ सफ़ाई करने की जहमत किसी ने नहीं उठाई है, प्लांट काम कर रहा है या नहीं, काम कर रहा है तो कितना शुद्ध पानी दें रहा है इसका अंदाजा प्लांट के बाहर लगे सिंक को देखकर आसानी से समझा जा सकता है।

सिंक की भी सफ़ाई वर्षों से नहीं की गईं है जिसके चलते उस पर पानी काई के रूप में जमा हो गया है, सिंक से पानी निकलने के लिए लगाए गया पाइप वर्षो से लापता हो चुका है जिससे सीधे ज़मीन पर गिरता पानी लोगों को भिगोता रहता है, फर्श पर बने गड्ढों में गन्दा पानी जमा रहता है।

वहीं पास में ही लगे वाटर कूलर की टोटी और सिंक का भी वहीं हाल है बूंद बूंद पानी और गन्दा सिंक। खास बात तो ये है की मरीजों और तीमारदारों की ये गंभीर समस्या कोई आज की नहीं बल्कि बहुत पुरानी है, आशा थी की मेडिकल कालेज बनने के बाद पेयजल की इस समस्या से भी आम जनता को निजात मिलेगी

लेकिन अस्पताल प्रशासन की राह पर चल रहे मेडिकल कालेज प्रशासन भी इस समस्या पर धृतराष्ट्र की भूमिका ही निभाता दिख रहा है हालांकि कालेज प्रिंसिपल धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने से ज़ब इस विषय पर बात की गईं तो उन्होंने सम्बंधित को समस्या के निराकरण हेतु निर्देशित किये जाने की बात कहीं।

अब देखना है प्रिंसिपल श्री कोटास्थाने इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेते हैं और कितनी जल्दी जनता को स्वच्छ, शुद्ध और पर्याप्त पानी उपलब्ध करा पाते हैं।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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