विरोध दर्ज कराने की स्वतंत्रता का हनन है प्राथमिकी
बाराबंकी। केंद्र द्वारा लाये गए अधिवक्ता संशोधन बिल पर जबरदस्त विरोध के मुद्दे पर तनाव उस समय व्याप्त हो गया ज़ब प्रशासन ने जिले के 50 से भी अधिक अधिवक्ताओं पर नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया, मुक़दमे को लोकतान्त्रिक अधिकारों का और विरोध दर्ज कराने की स्वतंत्रता का हनन बताते हुए बार काउंसिल ऑफ़ उत्तरप्रदेश ने जिले के आला अधिकारियों को पत्र लिख मुक़दमे को वापस लेने की बात कही है।
ज्ञात हो की अनेकों मामलों में अधिवक्ताओं की गैर संवैधानिक गतिविधियों में लिप्त होने और क़ानून का उल्लंघन करने के मामलों के सज्ञानं में आने पर केंद्र सरकार ने न्यायिक कार्यों में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अधिवक्ता संसोधन बिल लाने का निर्णय लिया जिसपर देश भर ख़ासकर उत्तरप्रदेश के अधिवक्ताओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, इसी क्रम में बाराबंकी के अधिवक्ताओं ने भी विरोध प्रदर्शन किया।
बार काउंसिल ऑफ़ उत्तरप्रदेश के उपाध्यक्ष अनुराग पाण्डेय द्वारा बाराबंकी जिलाधिकारी और एस पी को लिखें पत्र के अनुसार प्रदर्शन के कारण अधिवक्ता गुड्डू अवस्थी, रितेश मिश्र, मनीष तिवारी, अशोक वर्मा, अतुल वर्मा, दीपक वाजपई, रूबी सिंह, अनुराग तिवारी, विजय पाण्डेय, अनुराग शुक्ल, सतीश पाण्डेय सहित 50 अधिवक्ताओं पर जिला प्रशासन द्वारा बी एन एस की धारा 221, 285, 270, 324(4), 3(5), के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गईं है।
उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है की दर्ज एफ आई आर लोकतान्त्रिक अधिकारों के हनन के साथ साथ अधिवक्ताओं के विरोध प्रदर्शन के अधिकारों का भी हनन है, उन्होंने कहाँ है की उपरोक्त मुक़दमे को तत्काल स्पज किया जाना चाहिए।