डेपुटेशन पर भेजें गए पुलिसकर्मियों को कार्यमुक्त न किये जाने का मामला
आदेश के 23 दिन बाद भी नहीं लिया गया सज्ञानं
लखनऊ/देवीपाटन मण्डल। अपर पुलिस महानिरीक्षक कार्मिक, लखनऊ द्वारा पिछले महीने देवीपाटन रेंज में गोण्डा व बहराइच जिले के 45 पुलिसकर्मियों का तबादला तीन वर्ष के लिए राजकीय रेलवे पुलिस में कर दिया गया है। इसके साथ ही सख्त हिदायत दी गई कि आदेश निर्गत होने की तिथि से 10 दिन के अंदर स्थानांतरित पुलिस कर्मियों को अवश्य कार्यमुक्त कर दिया जाए। तबादला आदेश को करीब 23 दिन बीत गए, लेकिन पुलिसकर्मी अपने तैनाती स्थल पर ही डटे हुए हैं।
आपको बता दें कि अपर पुलिस महानिरीक्षक कार्मिक द्वारा विगत 26. मई को देवीपाटन रेंज में गोण्डा के 31 व बहराइच के 14 पुलिस कर्मियों का तबादला राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) में कर दिया गया है। गोण्डा के जिन पुलिस कर्मियों को तीन साल के लिए राजकीय रेलवे पुलिस में स्थानांतरित किया गया है, उनमें दुर्गेश कुमार, आलोक कुमार राय, सुनील कुमार वर्मा, पंकज सिंह, बृजेश यादव, करन कुमार, राजेन्द्र यादव, अनूप कुमार, राजू राजभर, सत्येन्द्र कुमार, मंगला सिंह यादव, संदीप कुमार प्रजापति, बिजेंद्र यादव, चेतन पाण्डेय, शशांक द्विवेदी, मिथिलेश कनौजिया, मोहम्मद लुकमान, हरिओम मद्धेशिया, राहुल गौड़, मोहम्मद शाद, संजय यादव, लाल बहादुर, पंकज सिंह, पंकज कुमार मिश्रा, रिंकू लाल, मुनव्वर, चन्द्रमणि, राम आसरे, मुन्ना यादव, अनिल कुमार मौर्य, व विपिन कुमार शामिल हैं।
वहीं बहराइच जनपद के जिन पुलिस कर्मियों का तबादला जीआरपी में किया गया है, उनमें अनुराग प्रताप सिंह, ओमशंकर गुप्ता, प्रवीन्द्र कुमार, संतोष कुमार चौधरी, दयाराम, चिरंजीत कुमार गौड़, सुनील कुमार, संजीव कुमार दूबे, मुनीर अहमद, अरूण कुमार, शकील अहमद, महेश कुमार, संतोष कुमार व रवि शंकर भारती शामिल हैं। पिछले महीने मई की 26 तारीख को जारी किए गए तबादला आदेश को 23 दिन बीत गए लेकिन अभी तक पुलिस कर्मियों को कार्यमुक्त नहीं किया गया, जबकि स्थानांतरण आदेश में स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि आदेश निर्गत होने की तिथि से 10 दिवस के अंदर दिनांक 5. जून तक स्थानांतरित पुलिस कर्मी अवश्य कार्यमुक्त कर दिए जाएं।
आदेश में यह भी हिदायत दी गयी कि विलंब से कार्यमुक्त करने के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा कोई विपरीत आदेश पारित किए जाते हैं तो आपके कार्यालय के संबंधित अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। अपर पुलिस महानिरीक्षक कार्मिक के इस सख्त आदेश के बाद भी न तो स्थानांतरित पुलिस कर्मी राजकीय रेलवे पुलिस में तीन साल के लिए जाना चाहते हैं और न ही जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा उन्हें कार्यमुक्त किया जा रहा है। ऐसे में डीआइजी स्थापना, लखनऊ का यह आदेश कागज का एक टुकड़ा साबित हो रहा है।