कार निकालने को लेकर हुए विवाद की शिकायत करने थाने पहुंचा था युवक
विवाद के बाद मृतक के घर पहुँच दबंगो ने की थी मारपीट
गाज़ियाबाद। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी प्रदेश को अपराधमुक्त करने के लिए जी जान से जुटे है वही दूसरी ओर अपराधी उनके प्रयास पर बार बार पानी फेरते दिखाई दे रहे हैं, चिंता की बात तो ये है की पुलिस की भूमिका भी नकारात्मक ही दिखती है खास बात तो ये है की बेहद मामूली बात पर ये अपराधी हत्या करने से भी बाज़ नहीं आ रहे, कुछ ऐसा ही वाक्या प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र गाजियाबाद बाद से उस समय सामने आया ज़ब कार निकालने को लेकर हुआ विवाद एक युवक की हत्या के रूप में सामने आया और वो भी थाने के मुख्य गेट के ठीक सामने, हत्या होती रहीं और वहां मौजूद पुलिस घटना का वीडियो बनाती रहीं।
अपने आप में कई प्रश्न समेटे इस घटना की शुरुआत बुधवार को उस समय हुई अब थाना मुरादनगर के ग्राम मिलक रावली निवासी युवक रवि शर्मा का मोंटी और अजय से कार को रास्ते से निकालने को लेकर विवाद हो गया। बताया जाता है विवाद के बाद देर रात मोंटी और अजय रवि के घर पहुंचे और वहां भी जमकर मारपीट की।
प्रताड़ित युवक रवि ज़ब सुबह अपने भाई के साथ घटना की सूचना देने मुरादनगर थाने पहुंचा तो थाने के गेट पर ही पहले से मौजूद आरोपियों ने रवि पर ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर दी, इस गोलीबारी में रवि को कुल चार गोलियां लगी, रवि को आनन फानन में अस्पताल लाया गया जहाँ उसकी मौत हो गईं।
पूरी घटना में सबसे शर्मनाक बात तो ये रहीं की एक तरफ आरोपी रवि पर गोलियां बरसा रहे थे तो दूसरी ओर थाने पर मौजूद सिपाही अपने मोबाइल से वीडियो बना रहे थे, उन्होंने न तो घटना को रोकने की कोशिश की और न ही आरोपियों को पकड़ने की जिसका नतीजा रहा की दिनदहाड़े थाने के सामने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी बड़े आराम से वहां से फरार हो गए।
जैसा की हमेशा होता है घटना के बाद होश में आई गाजियावाद पुलिस आरोपियों को जल्द पकड़ने का दावा कर रहीं है लेकिन सवाल तो ये है की थाने के ठीक सामने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम देने कु हिम्मत आरोपियों में कैसे आ गईं और आरोपियों के सामने होने पर पर पुलिस ने उचित एक्शन क्यों नहीं लिया, यदि उसी समय पुलिस वीडियो बनाने की जगह अपनी जिम्मेदारी निभाती तो शायद रवि की जान बच जाती और आरोपी भी गिरफ्त में होते।
फिलहाल देखते है की उत्तरप्रदेश पुलिस पर लगे इतने गंभीर दाग़ को विभागीय उच्चाधिकारी किस तरह धोते हैं।