भूमि विवाद में लेखपाल ने लगाई गलत रिपोर्ट, जिलाधिकारी कर रहे जाँच
अलीगढ। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लेखपाल को राज्यपाल भी कहकर बुलाया जाता है, हालांकि इस उपाधि का प्रयोग लेखपाल को मिले अधिकारों पर होने वाले कटाक्ष के रूप में किया जाता है लेकिन जिले से आई इस तस्वीर ने इस कटाक्ष को वास्तविकता का जामा पहना दिया जिसमे लेखपाल ने एक पूर्व मंत्री से ही 50 हज़ार ₹ की रिश्वत मांग ली, मज़े की बात तो ये है की पूर्वमंत्री द्वारा रिश्वत न दिए जाने पर मामले में अनुचित रिपोर्ट भी लगा दी, मंत्री द्वारा मामले के मुख्यमंत्री के सज्ञान में लाये जाने पर जाँच जिलाधिकारी को सौंप दी गईं है।
हैरान करने वाला ये मामला एस सी एस टी आयोग के पूर्व सदस्य पूर्व राज्यमंत्री ओमप्रकाश नायक से जुड़ा है, जानकारी के अनुसार श्री नायक ने वर्ष 2001 में एक संस्था के सचिव की हैसियत से दो एकड़ भूमि का सौदा बतासो देवी से किया था, भूमि क्रय करने के बाद भी उक्त भूमि में खेती होती रहीं, वर्ष 2005 में फर्जी बतासो देवी के नाम से जिलाधिकारी से एक शिकायत की गईं जिसमे बतासो का निशानी अंगूठा भी नहीं था।
हालंकि शिकायत पर जाँच स्थानीय लेखपाल को दी गईं जिसपर लेखपाल ने 50 हज़ार की रिश्वत मांगी और रिश्वत न मिलने पे गलत रिपोर्ट लगाकर जिलाधिकारी को सौंप दी।
मामले में प्रताड़ित पूर्व मंत्री में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात कर उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया जिस पर योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारी से पूरे मामले की जाँच कर रिपोर्ट देने का फरमान जारी कर दिया है।
इस मामले ने लेखपाल को राज्यपाल कहे जाने के कटाक्ष को सत्य साबित कर दिया की ज़ब लेखपाल एक पूर्व मंत्री से रिश्वत मांग सकता है और रिश्वत न मिलने पर गलत रिपोर्ट लगाकर उन्हें भी दर दर भटकने को विवश कर सकता है तो आम, गरीब और ग्रामीण जनता पर लेखपालों का कहर किस तरह पड़ता होगा आसानी से समझा जा सकता है, और ये हाल उस समय दिखाई दे रहा है ज़ब लेखपालों के भ्रस्ट आचरण के चलते प्रदेश के कई जनपदों में इनपर निलंबन तक की कार्यवाई हो चुकी है।