उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

आखिर जिलाधिकारी को दिख ही गया मेडिकल कालेज का जलभराव, दिए आवश्यक निर्देश

स्थाई रूप से बने तालाब पर अभी भी नहीं पड़ी दृष्टि

गोण्डा। वर्षो से प्रत्येक बारिश के मौसम में अस्थाई रूप से हो रहे जलभराव पर आखिर मौजूदा जिलाधिकारी की निगाह पड़ गईं और उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिए, लेकिन सवाल तो ये खड़ा होता है की ऐसे निर्देश पहले भी कई जिलाधिकारी आपने कार्यकाल में दे चुके लेकिन समस्या ज्यों कु त्यों बनी रही यही नहीं मेडिकल कालेज के पिछले हिस्से में दशकों से बने स्थाई तालाब पर अभी भी जिलाधिकारी की दृष्टि क्यों नहीं पड़ी?

लगातार मीडिया की सुर्खियों में रहने वाले मेडिकल कालेज परिसर के जलभराव की स्थिति का निरीक्षण जिलाधिकारी गोण्डा श्रीमती प्रियंका निरंजन द्वारा किया गया। हालांकि कुछ दिनों पूर्व ही जिलाधिकारी के कथित औचक निरिक्षण में मेडिकल कालेज अधिकारियों द्वारा उन्हें इस जलभराव से पूरी तरह दूर रखा गया था। फिलहाल इस निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी के साथ प्राचार्य मेडिकल कॉलेज, मुख्य चिकित्सा अधिकारी गोण्डा, सीएमएस जिला अस्पताल, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद गोण्डा एवं लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।

निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने पाया कि अस्पताल परिसर के विभिन्न हिस्सों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने के कारण भारी जल भराव हो गया है, जिससे मरीजों, तीमारदारों एवं चिकित्सकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इस पर जिलाधिकारी ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए संबंधित विभागों को तत्काल प्रभाव से आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

जिलाधिकारी श्रीमती प्रियंका निरंजन ने अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद गोण्डा एवं एक्सईएन पीडब्ल्यूडी को निर्देशित किया कि संयुक्त रूप से जल निकासी की स्थायी व्यवस्था हेतु एक त्वरित परियोजना तैयार की जाए तथा प्राथमिकता के आधार पर कार्य प्रारंभ किया जाए। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज जैसी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्था में जल निकासी की समस्या किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी ने नगर पालिका को निर्देश दिया कि जब तक स्थायी समाधान नहीं हो जाता, तब तक अस्थायी रूप से पंपिंग सेट एवं अन्य आवश्यक उपकरणों की सहायता से जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिससे मरीजों को राहत मिल सके।

निरीक्षण के उपरांत जिलाधिकारी ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से यह भी कहा कि अस्पताल परिसर की स्वच्छता एवं सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि जल जनित बीमारियों से बचाव किया जा सके।

यहाँ ये भी बताना आवश्यक है की जिलाधिकारी ने जिस जलभराव का निरिक्षण कर समस्या के निराकरण के लिए निर्देश दिए वो तो वर्ष के दो या तीन महीने ही रोगियों और उनके तिमारदारों को परेशान करते हैं लेकिन दशकों से मेडिकल कालेज अस्पताल के पिछले हिस्से में स्थित पम्प हाउस के क्षेत्र में बन चुके स्थाई तालाब पर अभी भी न तो जिलाधिकारी की दृष्टि गईं और न ही कालेज अधिकारियों ने उनका ध्यान दिलाने का प्रयास किया जिसमे बारिश के साथ साथ अस्पताल से निकालने वाला गन्दा पानी एकत्र होता है।

दशकों से जमा ये गन्दा पानी मरीजों, उनके तिमारदारों के साथ साथ चिकित्सा कर्मियों के स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है इसे सभी बेहतर जानते हैं लेकिन न तो इस बड़ी समस्या का अभीतक कोई स्थाई या अस्थाई समाधान खोजने का प्रयास तक नहीं किया गया।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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