मंत्रियों की गरीबी का हवाला देकर बनाया गया था सरकारी खर्चे से मत्रियों के आयकर की अदायगी का नियम
लखनउ। जीं हां पिछले 38 वर्षो से मत्रियों को मिल रही इस बडी सुविधा को योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक झटके में समाप्त कर सरकारी खजाने पर पड रहे एक बडे बोझ को हटा दिया है।
‘राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है’ के नारे के साथ वर्ष 1981 में सत्ता में आये मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंत्रियों के वेतन पर दिये जाने वाले आयकर को सरकारी खजाने से भरे जाने का निर्णय लेकर अपने ही नारे को तिलांजलि दे दी थी तब से लेकर आज तक उसी परम्परा का निर्वहन सभी सरकारो ने किया, हालाकिं अपनी सादगी और मितव्ययता के लिए प्रसिद्व वर्तमान मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया के द्वारा उजागर किये गये इस तथ्य से अवगत होते ही अविलम्ब इस पर रोक लगा दिया।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने जानकारी देते हुए बताया है कि मुख्यमंत्री ने आयकर अदा किये जाने की व्यवस्था को तत्काल समाप्त किये जाने का आदेश दिया है इस आदेश के बाद अब सभी मंत्रियों यहा तक की खुद मुख्यमत्री को भी अपने आयकर का भुगतान स्वयं ही करना पडेगा।
यहां यह भी बताना आवश्यक है कि 1981 में तत्कालीन मुख्यमत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस व्यवस्था का श्री गणेश करते समय दलील दी थी कि सरकार के ज्यादातर मंत्री कमजोर और गरीब तबके के है उनकी आमदनी काफी कम है इसलिए उन्हें मंत्री के तौर पर प्राप्त होने वाले वेतन भत्ते पर पडने वाले आयकर का बोझ सरकार ही उठाये। आपको यह जानकारी देना भी आवश्यक है कि विश्वनाथ प्रताप सिंह से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश ने 19 मुख्यमंत्री जिनमें कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी, श्री पति मिश्र, वीरबहादुर सिंह, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की मायावती, भारतीय जनता पार्टी के कल्याण सिह, रामप्रकाश गुप्त, राजनाथ िंसंह, की सरकारे रही जिनकी सरकारों में लगभग 1000 मंत्री रहे परन्तु किसी ने भी इस फिजूज खर्ची की ओर ध्यान नहीं दिया और मामला इसी तरह चलता रहा, वित्तीय वर्ष 2018-19 में मंत्रियों के आयकर का निर्धारण किया गया तो यह राशि 86 लाख रूप्ये आयी जिसे सरकार ने अदा किया हालांकि मामला योगी आदित्यनाथ की जानकारी में आते ही उन्होनें तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगाने का आदेश पारित कर दिया।
मंत्रियों को मिलता है एक लाख चौसठ हजार रूप्ये मासिक वेतन
वर्तमान योगी सरकार में मंत्रियो को मिल रहे वेतन की विवेचना की जाये तो उन्हें मूल वेतन 40000, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 50000, चिकित्सीय भत्ता 30000, सचिवालय भत्ता 20000, दैनिक भत्ता 800 रूप्ये प्रतिदिन कुल मिलाकर एक लाख चौसठ हजार रूप्ये प्राप्त होता है इनमें से निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और दैनिक भत्ता आयकर के दायरे से बाहर है।