उत्तर प्रदेश लाइफस्टाइल

बाढ़ पीड़ितों को अभी तक नहीं मिली मुआवजे की राशि, क्या रहेगी दीपावली फीकी ?

Written by Vaarta Desk

 डाँ0 एस.बी.एस. चौहान

चकरनगर (इटावा)। प्रलयंकारी हुंकार भर्ती यमुना और चंबल के तांडव ने जहां जीवधारियों की जानें लीं वहीं पर फसलों को नेस्तनाबूद कर रिहायशी मकानों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। शासन और प्रशासन ने कागजी घोड़े तो दौडाए, लेकिन किसानों को खेतीवाड़ी से संबंधित हुए नुकसान का मुआवजा और उजड़ी हुई गृहस्थी के संबंध में कोई भी राहत धरातल पर दिखाई ना देने से पीड़ित किसान मायूसी की कगार पर!

ज्ञातव्य हो कि यमुना-चंबल-कुंवारी-सिंधु-पहूज नदियों में आई भयंकर वाढ़ ने जो अपने क्रोधावेश में हुंकार भरने के समय चपेट में ले लिया था वो फसल हो, मार्ग हो, इंसान की जान हो, पशुओं की जान हो या हो सर छुपाने वाली छत सभी को बेहद नुकसान पहुंचाया है। शासन को भेजी गई रिपोर्ट में प्रशासन ने अपनी पुरजोर कोशिश तो की लेकिन उसका धरातल पर लाभ अभी तक किसानों को दिखाई ना देने से किसान मायूसी की कगार पर है।

वहीं पर एक जटिल समस्या आड़े आ रही है कि अब वोई जाने वाली गेहूं की फसल जिस पर छुट्टा जानवर आतंक करने में कोताही नहीं करते। किसान यह सोचने पर विवश है कि आखिर बाजरा, उड़द, मूंग अरहर की फसलें चौपट हुईं। गेहूं यदि बोया जाए तो वह सुरक्षित कैसे रहेगा यह अन्ना छुटे पशु बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर किसान को जबरन मौत के मुंह में धकेलने का प्रयास करेंगे।

गौहानी निवासी ब्रह्मानंद तिवारी (60) बताते हैं कि हमारे घर में  यमुना महारानी का जल प्रवेश करने से घर में बुरी तरह दरारें पड़ चुकीं हैं। जो कभी भी धराशाई हो सकता है। मकान में छत से लेकर दीवालें तक में बुरी तरह चटकन पैदा होने से रात दिन भय व्याप्त रहता है कि मकान कहीं धराशाई होकर रह रहे परिजन भी दबकर कहीं मलबे में ना फंस जाएं। हमारे पास में बना सागर नामक कुआ जो पानी भरने के कारण बाढ़ से एक साइड से धसक चुका है जिसके कारण पीने का पानी भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है।

संजय सिंह चौहान (45) बताते हैं कि हमारा फर्श से लेकर घर की बनी बाउंड्री वाल भी चटक कर क्षतिग्रस्त हुई है। भूरे पंडित (47) बताते हैं कि हमारा फर्श क्षतिग्रस्त होने से हमें भी नुकसान हुआ है। अब इस दीपावली के चलते कार्यक्रम बिगड़ी शो को संभालने में पास में पैसा भी नहीं है कि जिसे संभाला जा सके, सरकार ने भी कोई मदद नहीं दी कि जिसके सहयोग से यह बिगड़ी शोभा को संभाला जा सके।

ककरैया निवासी निकसू केवट व राम लक्षन बताते हैं कि हमारे परिजनों के घर यमुना जल के अंदर घुसने से पूरा रिहायशी व्यवस्था चौपट और धराशाई हो गई हैं। अभी तक शासन की तरफ से दीपावली के शुभ अवसर पर कोई मदद नहीं मिली। आगे क्या होगा दीपावली कैसे मनेगी? यह एक सोचनीय विषय है।

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