लखनउ। लगातार उत्तर प्रदेश पुलिस के कर्मियों द्वारा की जा रही आत्महत्या की कडी में एक और कडी उस समय जुड गयी जब डायल 112 में कार्यरत इन्सपेक्टर ने अपने ही घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
मिल रही जानकारी के अनुसार लखनउ में ही डायल 112 में तैनात इन्सपेक्टर बृजेश कुमार रविवार की देर शाम जब अपने आवास पर पहुंचें तो किसी बात पर उनकी और उनकी पत्नी के बीच बहस हो गयी, बहस ज्यादा बढती देख उन्होनें अपने को अपने कमरे में बन्द कर लिया, परिचितों की माने तो अक्सर परिवार में बहस होती रहती थी और उससे बचने के लिए वह अपने को कमरे में बन्द कर लिया करते थे।
फिलहाल मंगलवार को सुबह जब उनकी पत्नी माया ने उन्हें कई बार आवाज दी ता न तो बृजेश बाहर ही आये और न ही कोई जवाब दिया। पत्नी माया ने सोचा कि शायद वह कहीं बाहर निकल गये होगें, शाम को जब माया की नजर अचानक खिडकी से उनके कमरे में गयी तो वहां का दृष्य देख उसके मूहं से चीख निकल गयी, कमरे में बृजेश का पंखे से लटका शव झूल रहा था। माया की चीख पुकार सुन पडोसी जब उसके घर पहुचें तो उन्होनेंं घटना की सूचना पुलिस को दी, पुलिस ने मौके पर पहुच कर शव को पंखे से उतरवा पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
यहां यह भी बताना आावश्यक है कि उत्तर प्रदेश पुलिस में आत्महत्या का यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी कई पुलिस वालो ने विभिन्न तरीकों से आत्महत्या की है, आतंकवादी निरोधक दस्तें मे तैनात एएसपी राजेश साहनी ने अपनी ही पिस्टल से अपने को गोली मार आत्महत्या की थी, ज्यादा काम को लेकर कांस्टेबल राजरतन वर्मा ने आत्महत्या कर ली थी, वरिष्ठों पर प्रताणना का आरोप लगाते हुए हेट कास्टेबल देवीशंकर मिश्र की आत्महत्या, तबादलों से परेशान एसआई धमेन्द्र कुमार मिश्र द्वारा आत्महत्या करना आदि। ये मामले तो बानगी भर है जो इस बात की ओर इशारा करते है कि पुलिस विभाग की सेवावली और नियमावली में तत्काल सुधार की कितनी आवश्यकता है।