“विवेचना तो हुई पूरी लेकिन आपत्तियों का नही हुआ 2 माह में भी निस्तारण ” चार्जशीट अटकी हुई है क्षेत्राधिकारी सदर गोंडा के कार्यालय में ।
गोंडा ।
मामला थानाक्षेत्र मोतीगंज का है जंहा पीड़ित ने मुकदमा अपराध संख्या 88/19 अन्तर्गत धारा 419,420,323,504,506, IPC & SCTC एक्ट स्थानीय थाना मोतीगंज में दर्ज कराया था जिसकी विवेचना पुलिस उपाधीक्षक सदर क़ो सौपी गयी थी , जिसमे आरोप पत्र अथक प्रयास पर आनन फानन में बिना आवश्यक दस्तावेज संलग्नक के अग्रसारित कर दिया गया था जो दौरान परीक्षण त्रुटियों क़ो पूर्ण करने हेतु वापस भेज दिया गया था, वादी मुकदमा द्वारा समस्त आवश्यक प्रपत्र एवं साक्ष्य तत्काल उपलब्ध करा दिया गया लेकिन हद तो तब हो गयी जब बिना किसी त्रुटि क़ो पूरा किए जैसे की तैसे पुनः चार्जसीट क़ो अग्रसारित कर दिया गया जो कि पुनः आपत्ति निस्तारण हेतु भेज दिया गया है जो 2 माह से पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय गोंडा मे अनावश्यक लटकी हुई है ।
आइए जानते क्या है एस.सी.एस.टी एक्ट मुकदमे की विवेचना की समय सीमा के बारे में –
कानून और न्यायालय के निर्देशन के अनुसार SC ST एक्ट में दर्ज अपराधो की विवेचना हेतु 2 माह का समय निर्धारित किया गया है लेकिन गोंडा पुलिस खुद के बनाए नियम कानून से विवेचना कर रही है ।
क्या कहता है पीड़ित
पीड़ित अनुसूचित जाति के बुजुर्ग ने बताया की समस्त प्रपत्र उपलब्ध करा चुका हूँ ,पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय का चक्कर लगाते लगाते थक गया लेकिन पेशी की तरह तारीख पर तारीख लगाई जा रही है और अभियुक्त के इशारों पर आरोप पत्र भेजने में जान बूझकर शिथिलता बरती जा रही है, पीड़ित ने कहा की अब अनुसूचित जन जाति आयोग का शरण लेना पड़ेगा क्योकि पुलिस कार्यालय का चक्कर काटते काटते मानसिक रूप से परेशान हो चुका हूँ ।