अपराध उत्तर प्रदेश गोंडा लाइफस्टाइल

ग्रामोद्योग विभाग का भ्रष्टाचार बेरोजगारों में भर रहा निराशा, युवाओं में फैल रहा सरकार के प्रति आक्रोश

Written by Vaarta Desk

गोंडा ! प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी और दूसरे प्रदेशों में जा कर मेहनत मजदूरी करने वालों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा युवाओं का पलायन रोकने तथा उन्हें स्वरोजगार से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मुख्यमन्त्री ग्रामोद्दोग योजना के तहत 10 लाख रूपये तक का ऋण मुहैया करने की योजना तो बनाई गयी मगर योजना से लाभान्वित होने की कठिन अहर्ताएं और सरकारी तौर कोई सब्सिडी न दिए जाने की वजह से,प्रदेश सरकार की इस योजना के तहत स्वरोजगार स्थापित करने की दिशा में लोगों के बढ़ते कदमों को निराशा की खाई में ढकेलती नज़र आ रहीं हैं।

आवेदन की प्रक्रिया और उसके बाद खादी ग्रामोद्दोग विभाग के अधिकारियों द्वारा अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लेने के बाद बैंक की परिधि परिक्रमा में ज्ञात होता है की जिस योजना के तहत आवेदक द्वारा ऋण के लिए प्रयास किया जा रहा है वो ऋण सामान्य बैंकिंग सेवा जैसी ही है।

आवेदकों में निराशा उतपन्न कर ऐसी ब्यवस्थाओं से विमुख होने की दशा में ब्यवसायिक ऋण के लिए किये गए कागजी व्यय रोजगार के लिए भटकते लोगों के लिए असहनीय हो जाता है।
ऐसे में अन्य जो महत्वपूर्ण योजनाये भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं उनके प्रति भी लोग उदासीन बने रहते हैं।

विभाग में बड़ी आशा के साथ आवेदन किये कुछ बेरोजगार युवाओं से की गई कई बातचीत के दौरान पता चला की कोई सामान्य व्यक्ति जब खादी ग्रामोद्दोग से ब्यवसायिक ऋण हेतु आवेदन करने पहुंचता है तो वहां जिनके माध्यम से आवेदन की प्रक्रिया सम्पन्न कराई जानी होती है वे लोग अपने टारगेट को पूरा करने के लिए अभ्यार्थी का सही जगह आवेदन करने के बजाय ऐसी योजनाओं में आवेदन भर देते हैं जिससे उन्हें अंतोगत्वा निराशा ही हाथ लगती है जिन योजनाओं में आवेदन करने से आवेदक को सब्सिडी अथवा कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध होता है

उन योजनाओं में केवल उन्ही लोगों का आवेदन भरा जाता है जिनसे उन्हें लाभ मिलने की आशा होती है यानी की जो शहर के नामी ब्यवसाई अथवा बड़े कारोबारी होते हैं उन्हें ये सुविधा प्रदान की जाती है,ऋण से सम्बंधित य बैंकिंग कार्य सीक्रेट होता है इसलिय किसी को भी इसकी भनक तक नही लगती और स्वलाभ के चलते योजनाएं जिन ज़रूरत मंदों के लिए चलाईं जाती हैं उन्हें न मिल कर बड़े बड़े फर्मों अथवा नामी गिरामी ब्यवसायियों को प्रदान की जाती है।

सामान्य तौर पर देखा जाय तो सरकार द्वारा चलाई जा रही विभन्न योजनाओं का लाभ जिस प्रकार अपात्रों में बाँट दिया जाता है ठीक उसी प्रकार ब्यवसाय स्थापित करने के लिए ऋण मुहैया कराये जाने की इन ब्यवस्थाओं में भी लागूं की जाती हैं।

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