उत्तर प्रदेश गोंडा स्वास्थ्य

लिंग-भेद पर विचार विमर्श कर सही समझ बनाने एवं भ्रांतियों को दूर करने में किशोर-किशोरियों को प्रोत्साहित करेंगे किशोर-स्वास्थ्य परामर्शदाता

किशोर-स्वास्थ्य परामर्शदाताओं के स्व-कौशल एवं जेंडर-भूमिकाओं पर प्रशिक्षण एवं अभिमुखीकरण कार्यशाला हुयी आयोजित

गोंडा ! बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में किशोर स्वास्थ्य परामर्शदाताओं के सेल्फ-एफीकेसी (स्व-कौशल) मॉड्यूल पर एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर ऐंड चाइल्ड के सहयोग से किया गया | जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ मलिक आलमगीर ने की |

कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य सेल्फ-एफीकेसी (स्व-कौशल) पर कार्यकर्ताओं की समझ बनाना है, जिससे वे युवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर नियंत्रण करने के लिए उन्हें तैयार कर सकें | उन्होंने कहा कि किशोर लड़कियों और लड़कों के बीच जेंडर भूमिका उनके स्व-कौशल को सीमित करती है और बदले में हमारे किशोरों की आकांक्षाओं को सीमित करती है | इस मॉड्यूल का प्रशिक्षण कार्यकर्ताओं के ज्ञान, कौशल एवं गुणवत्तापरक परामर्श में मदद मिलेगी |

प्रशिक्षक गुलाम हसन ने बताया स्व-कौशल किशोरों के जीवन में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है | हमें उनके मार्गदर्शक या सलाहकार के रूप में यह समझने की जरूरत है कि एक व्यक्ति के जीवन स्व-कौशल कैसे काम करता है | उच्च स्व-कौशल वाले किशोर प्रदर्शन के मामले में स्व-कौशल के कमजोर स्तर वाले किशोरों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जैसे कि शिक्षा में | यदि इसे विज्ञान के रूप में समझा जाए, तो स्व-कौशल में काफी सुधार किया जा सकता है |

वहीँ प्रशिक्षक लीना उत्पल ने कहा कि स्व-कौशल प्रेरणा को प्रभावित करती है और इसलिए किशोर स्वास्थ्य परामर्शदाताओं को समझना चाहिए कि किस प्रकार किशोरों में स्व-कौशल विकसित किया जाए और इन सिद्धांतों को उनके दैनिक कार्यों में कैसे शामिल किया जाए | उन्होंने कहा कि स्व-कौशल हमारे जीवन लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी | एक सलाहकार के रूप में हम राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के सभी घटकों पर किशोर-किशोरियों को उचित जानकारी दे पायेंगे |

लिंग एवं जेंडर भेदभाव पर चर्चा के दौरान प्रशिक्षकों ने बताया कि स्व-कौशल से समाज में व्याप्त मिथक जैसे- लड़कियों का जन्म गृह निर्माता बनने के लिए होता है, परिवार की देखभाल के लिए लड़कियों को वृद्धि करनी चाहिए, लड़कियां सुन्दर होनी चाहिए तथा लड़कों को शक्तिशाली बनना चाहिए, लड़कों को परिवार का मुखिया होना चाहिए, अधिकतर वैज्ञानिक पुरुष हैं, पुरुष यह निर्णय लेते हैं कि उसे कितने बच्चे चाहिए आदि पक्षपाती अवधारणाओं पर किशोर-किशोरियों के साथ चर्चा कर उनमें समझ विकसित करने में मदद मिलेगी | इससे आपेक्षित परिणाम प्राप्त हो सकेंगे | इस दौरान जिला समन्वयक रंजीत सिंह व ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर ऐंड चाइल्ड के जिला समन्वयक अखिलेश शुक्ला सहित अन्य परामर्शदाताओं ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये |

इस मौके पर परामर्शदाता प्रीतेश त्रिवेदी, अखिलेश, विनोद वर्मा, जितेन्द्र सिंह व दिलीप शुक्ला सहित अन्य लोग उपस्थित रहे |

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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