अधिवक्ता पंकज दीक्षित की कलम से
जैसा कि सभी क़ो ज्ञात है कि इस वक्त महामारी जैसी बीमारी से निपटने के लिए पूरे विश्व में बंदी जैसा माहौल है जंहा सरकार अपने अपने देश के नागरिको की सुरक्षा व्यवस्था से लेकर खान पान व आर्थिक समस्या के निराकरण हेतु कई बड़े बड़े कदम उठाए जा रहे है औऱ कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए भी व्यापक तैयारियां की जा रही है
वहीं शासन द्वारा दिव्यांग , श्रमिक, विधवा , बुजुर्ग क़ो पेंशन तथा सम्मान निधि सहायता, जन धन व उज्ज्वला सब्सिडी , राशन इत्यादि के माध्यम से आर्थिक सहायता पहुंचायी जा रही है परंतु इस महामारी में अपनी जान क़ो जोखिम में डालकर जो पत्रकार बंधु शासन के बीच समन्वय स्थापित करके एवं जागरूकता का प्रचार प्रसार कर रहे है जिन्हें शासन के माध्यम से कोई सहायता राशि नही उपलब्ध करायी गयी है न ही इस तरह से कोई घोषणा की गयी है वहीं सामाजिक कार्यकर्ता जो समाज की सेवा निस्वार्थ भाव से करता है उसे भी कोई सहायता नही दी गयी है औऱ अधिवक्ता जो समाज का एक अहम अंग है औऱ बिना किसी वेतन के समाज में हो रहे अत्याचारों के लिए मजबूती के साथ संघर्ष कर पीड़ितों , असहायों , शोषितों क़ो न्याय दिलाने का काम करता है वह इस बंदी में आर्थिक समस्याओं से ग्रस्त है जिसे आज तक कोई भी सहायता शासन द्वारा नही उपलब्ध करायी गयी है जिससे यह कहने में कोई हर्ज नही होगा कि शासन बुद्धिजीवी वर्गो के प्रति दिन प्रतिदिन निरंकुश होती जा रही है ,
हम इस लेख के माध्यम से सरकार का ध्यानाकर्षण करना चाहता हूँ कि इस पर शासन क़ो गंभीरता से विचार करना चाहिए औऱ जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए ।