अज़ब ग़ज़ब उत्तर प्रदेश गोंडा

अधकचरी और भ्रामक जानकारी परोस रहा प्रशासन, भ्रम फैला रहा या छुपा रहा सच्चाई ?

जिला तो जिला मण्डलीय अधिकारी भी नही है भ्रम फैलाने में पीछे

महत्वपूर्ण मुददों की जानकारी तक नहीं है जिला स्तरीय अधिकारियों के पास

देवीपाटम मण्डल गोण्डा। कोरोना महामारी के इस काल में जहां विभिन्न अनाधिकृत माध्यमों से भ्रामक ओर अधकचरी जानकारी जनता तक पहुचांयी जा रही है वहीं अब इस दौड में सरकारी माध्यम भी शामिल हो गये हैं, शामिल कहा जाये या फिर ये भी कहा जा रहा है कि इस दौड में सरकारी माध्यम बाजी मारते दिख रहे है।

हम बात करते हैं देवीपाटम मण्डल की और जनपर गोण्डा की, माना ये जाता है कि सोशल मीडिया पर भ्रामक ओर तथ्यहीन जानकारी देने वालों पर रोक की जिम्मेदारी सरकारी प्रशासन की होती है और ये भी माना जाता है कि वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए ऐसे तत्वों पर कानूनी लगाम भी लगायेगा, परन्तु आपको जानकर बहुत ही दुख होगा की ऐसे तत्वों पर लगाम लगाना तो दूर मण्डल सहित जिला प्रशासन भी इन्ही अराजक तत्वों में शामिल होता नजर आ रहा है।

कोरोना महामारी के इस संवेदनशील समय में जिला एवं मण्डल प्रशासन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्तियों पर नजर डाली जाये तो मण्डलीय सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकृत व्हाटसएप गृ्रप के माध्यम से जारी विज्ञप्ति से विगत 21 मई को दोपहर दो बजकर पैतालिस मिनट पर अवगत कराया गया कि मण्डल में अभी तक कोरोना के 119 मरीज स्वस्थ्य हो चुके हे जिनमें मण्डल के सभी चारों जिलों मे कोरोना से स्वस्थ हुए मरीजों का विवरण भी दिया गया था, इस विज्ञप्ति के जारी होने के मात्र 26 मिनट बाद ही एक और पोस्ट आती है जिसमें स्वस्थ हुए मरीजों का आकडां घट कर 119 के बजाये 44 ही रह जाता है।

कुछ इसी तरह 22 मई को इसी अधिकृत व्हाटसएप गु्रप पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कोरोना अपडेट के माध्यम से शाम छह बजकर पच्चीस मिनट पर अवगत कराया गया कि गोण्डा में अब कोरोना पाजिटिव मरीजों की संख्या 24 है, पोस्ट के मात्र दो मिनट बाद ही एक और पोस्ट आती है जिसमें कोरोना पाजिटिव मरीजों की संख्या 26 बतायी जाती है, हद तो तब हो जाती है जब इस पोस्ट के मात्र 28 मिनट बाद ही एक और पोस्ट आ जाती है जिसमें कारोना पाजिटिव मरीजों की संख्या 28 से घटाकर 19 कर दी जाती है।

इतना ही नहीं 23 मई को जारी विज्ञप्ति में भी कुछ इसी तरह का हेरफेर किया जाता है जब मण्डलायुक्त के हवाले से बताया जाता है कि आज 172 सैम्पल जाचं के लिए भेजे गये, फिर तुरंत ही बता दिया जाता है कि भेजे गये सैंम्पल 175 है।

बात इतनी ही होती तो इसे एक बार लिपिकीय तृटि मान लिया जाता लेकिन यह गलतियां है या फिर प्रशासन की अधकचरी और भ्रामक जानकारी इस पर मुहर इसलिए लग जाती है जब अपर जिलाधिकारी जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे शख्स से यह जानने का प्रयास किया जाता कि अब तक जनपद मेंं कितने श्रमिक आ चुके है तो जो जवाब मिला वह चौंकाने वाला था, उन्होनें बिना किसी लाग लपेट के कह डाला कि इस तरह का कोई भी डाटा अभी तक रखा ही नहीं गया इसलिए इस सवाल का वह जवाब नही दे सकते, हो सकता है कि तहसील स्तर पर जानकारी मिल जाये।

एडीएम का जवाब और पूर्व में बतायी गयी भ्रामक जानकारी इस बात का प्रमाण है कि यह मात्र लिपिकीय तृटि ही नही है, प्रशासन कोरोना को लेकर जरा भी गम्भीर नही है जैसा भी मन में आता है मीडिया को परोस दिया जाता है या फिर जिले सहित मण्डलीय प्रशासन सही और तथ्यात्मक जानकारी छुपा रहा और और जनता को सच से अवगत कराने से परहेज कर रहा है, और जहां तक रही जिले की चाटुकार मीडिया की बात वह इन तथ्यों पर गौर किये बिना प्रशासन से प्राप्त अधकचरी और भ्रामक जानकारियों वाली पोस्ट को प्रशासन का प्रसाद मानते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से तुरंत जनता में उडाना आरम्भ कर देती है।

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राजेंद्र सिंह

राजेंद्र सिंह (सम्पादक)

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