मनकापुर (गोंडा) जनपद के मनकापुर में प्रचीन खाकीदास बाबा मंदिर को लेकर मचे बवाल के बीच गोंडा सांसद व मन्दिर के पुजारी ने आरोपों को निराधार व फर्जी बताया है …. कई जगहों पर एक साजिश के तहत ख़बर चलाकर मंदिर को तोड़ने की बात कही गई, लेकिन मौके पर मंदिर पूरी तरह खड़ा है और मंदिर परिसर और उसका बरामदा जो काफी जर्जर था उसे तोड़कर जीर्णोद्धार कराया जा रहा है।
यह मन्दिर लगभग 130 साल पुराना है इस मंदिर की देखरेख मनकापुर राजघराने द्वारा पिछले 130 सालों से की जा रही है जिसका बीच बीच मे जीर्णोद्धार भी राजपरिवार द्वारा कराया जाता रहा है। गोंडा से बीजेपी सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने समाचार वार्ता को बताया कि साजिश के तहत बिना तथ्यों के एक भ्रामक ख़बर चलाकर झूठ फैलाई जा रही है।
मंदिर ध्वस्त कर व तालाब कब्जे को लेकर क्षेत्र में फैली झूठी ख़बर को रफीक बाजार के लोगों ने अफवाह बताया …. यहां मंदिर पूरी तरह सही सलामत दिखा, परिसर को तोड़ कर नया निर्माण कराया जा रहा। परिसर की जर्जर हालत देखकर यहां पता चलता है यह कितना पुराना है, खण्डर हो चुके इस परिसर के छतों पर पेड़ व झाड़िया उग चुकी है और पेडों की लताऐं छत तोड़कर अंदर कमरे तक घुस चुकी है।
यहां मंदिर कितना पुराना है इसका एक जीता जागता सुबूत तब मिला जब यहां सैकड़ों वर्ष पुरानी ईट मिली, ये ईंट 1899 व 1940 की है। इस मंदिर में पुजारी भी है जो प्रतिदिन यहां पूजा करते है, मन्दिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर व मंदिर परिसर लगभग 120 साल पुराना है, भक्तों के बैठेने के लिए यहां सुरक्षित स्थान नहीं था, स्थानीय लोगों दुकानदारों व पुजारी के द्वारा पिछले चार सालों से इसके जीर्णोद्धार की मांग सांसद कीर्तिवर्धन से की जा रही है, कई वर्षों से मांग को मानते हुए सांसद द्वारा इसका जीर्णोद्धार का काम शुरू कराया गया है लेकिन मन्दिर जस का तस खड़ा है।
वही इस मंदिर परिसर के दुकानदारों ने बताया कि परिसर बहुत कमजोर हो गया था, दुकाने कमजोर हो गई थी, परिसर को दोबारा बनाने के लिए बार – बार सांसद से मांग की जा रही थी। ये उन्हीं की सम्पति है उनके परिवार द्वारा ही इसकी देखरेख और मरम्मत कराई जाती है और मन्दिर जहां पर था वही है।
इस मंदिर के संरक्षक, मनकापुर राजघराने के सदस्य और बीजेपी सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि भू – माफियाओं, खाद्यान्न माफियाओं द्वारा ऐसा झूठा और बेबुनियाद आरोप अक्सर लगाया जाता है …. खाकीदास बाबा मंदिर उनके परिवार के अधीन है, निजी संपत्ति है जो 100 सालो से अधिक समय से उनका परिवार मंदिर की देखरेख जीर्णोद्धार मरम्मत कराता आया है, इस समय भी जीर्णोद्धार का काम हो रहा है। स्थानीय व रफीनगर के लोगों की मांग थी कि मंदिर परिसर व दुकानों का निर्माण दुबारा कराया जाय। मन्दिर जर्जर होने के कारण परिसर में किसी तरह का कार्यक्रम नहीं हो रहा था, मन्दिर भवन जस का तस बना हुआ है।