- झंझरी ब्लॉक के 97 आंगनवाड़ी केंद्रों की कार्यकर्त्रियों ने तीन दिनों में साढ़े सात हजार बच्चों को बांटे पोषाहार।
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सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कार्यकर्त्रियां दे रहीं ये हिदायतें-
• बाहर की चीजें बच्चों को बिल्कुल न खिलाएं ।
• बच्चों को घर में बने खाद्य पदार्थ और पोषाहार ही दें ।
• बार-बार हाथ धुलने की आदत डालें ।
गोंडा। लॉकडाउन के दौर में समुदाय के महत्वपूर्ण आयु वर्ग यानी बच्चे, गर्भवती महिलायें व धात्री मां की सेहत बरकरार रहे, इसके लिए आंगनवाड़ी कार्यकत्रियां हर माह लाभार्थियों के घरों पर ही पोषाहार पहुंचा रही हैं । इस दौरान कार्यकत्रियां लोगों को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले व घर पर बने खाद्य पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करने, बेवजह घरों के बाहर न निकलने, बार-बार हाथ धुलने के साथ-साथ न किसी के घर जाने और न किसी को अपने घर बुलाने के प्रति जागरुक भी कर रही हैं ।
सीडीपीओ डीके गौतम ने बताया कि गत तीन दिनों में (नौ, दस व ग्यारह जून) को झंझरी ब्लॉक के 97 केंद्रों की आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों द्वारा लाभार्थियों के घर-घर जाकर पोषाहार बांटा गया । इस दौरान 1920 गर्भवती व धात्री महिलाओं, सात माह से तीन वर्ष के 5820 बच्चों और तीन से छः वर्ष के 1746 बच्चों को मई माह का पोषाहार का वितरण किया गया है ।
उन्होंने कहा कि जन समुदाय के अतिमहत्वपूर्ण आयु वर्ग यानी गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं एवं बच्चों को नोबेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से सुरक्षित रखने तथा उनकी प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त बनाए रखने के उद्देश्य से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घर-घर पोषाहार वितरित किया जा रहा है । सीडीपीओ ने बताया कि रोस्टर के अनुसार पोषाहार वितरण की सूचना व्हाट्सएप ग्रुप या अन्य माध्यम से ग्राम प्रधानों एवं वार्ड मेंबरों को भेज दी जाती है ।
हाथों को स्वच्छ बनाने के लिए ‘सुमन के’ फॉर्मूला अपनायें-
सुपरवाइजर तृप्ति पाण्डेय का कहना है कि गृह भ्रमण व डोर टू डोर पोषाहार वितरण के दौरान कार्यकर्त्रियां लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए ‘सुमन के’ फॉर्मूला के अनुसार हाथों को बार-बार धोने के प्रति प्रेरित करती हैं ।
• एस- सीधा हाथ
• यू- उल्टा हाथ
• म- मुट्ठी
• ए- अंगूठा
• एन- नाखून
• के- कलाई
वहीं डीपीओ मनोज कुमार का कहना है कि कोरोना संक्रमण के खतरे से हर कोई सहमा है। डर और चिंता के बीच कई लोग सुखद उम्मीद जगाए हुए हैं। इस नेक काम में आंगनबाड़ी वर्कर्स ने भी खुद को आगे कर लिया है। महिला व बाल स्वास्थ्य तथा पोषण देखभाल जैसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता खुद की सेहत की परवाह छोड़कर घर-घर पोषाहार पहुंचाने में जुट हुयी हैं।
उनका कहना है कि बाल विकास परियोजना के तहत
आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती व धात्री महिलाओं और बच्चों को हर माह पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है। लॉकडाउन के चलते घरों से बाहर निकलने पर मनाही है। आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं। ऐसे में आंगनबाड़ी वर्कर्स के सामने चुनौती है। लेकिन मुश्किल की इस घड़ी में इन्होंने जज्बा दिखाया है। गोंडा जनपद में 2800 से अधिक वर्कर इस मुहिम में जुटे हैं। हालांकि पोषाहार बांटने के दौरान आंगनबाड़ी वर्कर्स से पूरी सावधानी बरतने को कहा गया है।
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