बिहार। हालाकिं बिहार चुनाव अपने आखिरी चरण में हैं परन्तु आरजेडी को इस बात की बडी आशा थी कि यदि आरजेडी प्रमुख जेल से बाहर आ जाते हैं तो पार्टी को बडा लाभ मिल सकता है परन्तु शुूक्रवार को लालू के जमातन याचिका पर होने वाली सुनवाई को न्यायालय ने टाल कर पार्टी सहित लालू को एक तगडा झटाक दे दिया है अब उन्हें आगामी 27 नवम्बर तक तो जेल में ही रहना होगा और पार्टी को उनके बिना ही अपनी चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश करनी होगी।
शुक्रवार को दुमका कोषागार से गबन के मामले में लालू की जमानत याचिका पर सुनवाइ्र्र होनी थी जिसे न्यायालय ने कोर्ट मेंे छुटटी होने के कारण आगामी 27 नवम्बर तक टाल दियां। ज्ञात हो कि यदि उन्हें इस मामले में जमानत मिल जाती तो वह जेल से बाहर आ जाते क्योंकि उन्हें लालू प्रसाद यादव को उनके चारा घोटाले मामले में पहले ही जमातन मिल चुकी हैं, लेकिन रांची अदालत ने उनके इस अरमान पर फिलहाल आगामी 27 नवम्बर तक पानी फेर दिया है।
लालू के अधिवक्ता की बातों पर भरोसा किया जाये तो उनका कहना है कि मामला उच्च् न्यायालय के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार ंिसह की पीठ के सामने रखा गया था, मामले में आधी सजा काटने को आधार बनाते हुए जमानत देने की याचना की गयी थी। ज्ञात हो कि आरजेडी प्रमुख इस मामले में 42 माह की सजा काट चुके है जिससे उन्हें आधी सजा काटने के आधार पर जमानत मिलने की संभावना थी। इतना ही नही उनका मेडिकल आधार भी बनता था क्योकि उन्हें किटनी, शुगर और हदय रेाग के अलावा अन्य 16 प्रकार की बीमारियों ने घेर रखा हैै।
लालू के जमानत याचिका के निरस्त हो जाने से जहंा आरजेडी को घोर निराशा का सामना करना पडा है वही अन्य दलोें में न्यायालय का सम्मान की भावना दिाखाई है।