गोण्डा ! सिक्खों के नौवें गुरु हिंद की चादर हिंदू धर्म रक्षक धन धन गुरु तेग बहादुर जी महाराज का बलिदान दिवस आज गुरूद्वारा बड़गांव साहिब में मनाया गया।
कड़ाके की ठंड यह के बावजूद गुरूनानक नाम लेवा साध संगत की श्रृद्धा भक्ति में उत्साह की कमी नहीं थी। बच्चे, नौजवान, बुजुर्ग पुरुष और महिलाओं सबने मिलकर गुरु तेग बहादुर जी महाराज का जसगान किया और धर्म की रक्षा के लिए की गयी उनकी कुर्बानियों को याद किया।
गुरु घर के ज्ञानी गोपाल सिंह जी ने इतिहास बताते हुए सुनाया कि औरंगजेब के शासन के दौरान जबरन हिंदुओं को, कश्मीरी पंडितों को इस्लाम धर्म कुबूल करवाया जा रहा था और कोई उन्हें बचाने वाला नहीं था तब सारे कश्मीरी पंडित गुरु जी के पास गए और बचाने की गुहार लगाई।
गुरु जी ने कहा जाओ और औरंगजेब से कह दो कि यदि गुरू नानक नामलेवा तेग बहादुर को आप इस्लाम धर्म स्वीकार करवा दोगे तो सारे हिंदू इस्लाम कुबूल कर लेंगे।इस पर औरंगजेब बहुत खुश हुआ और उसने गुरतेग बहादुर जी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया परन्तु गुरु जी स्वयं औरंगजेब के पास पहुंच गए।
औरंगजेब ने तमाम लालच गुरु जी को दिए परंतु असर न होता देख औरंगजेब ने गुरु जी को यातनाएं देने का हुक्म दिया पर गुरु जी ने अपने को बलिदान करके हिंदू धर्म को बचा लिया।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार राजेंद्र सिंह भाटिया ने कहा कि सारे धर्म पूजनीय हैं सबको फलना फूलना चाहिए, सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए, सारे धर्म हमें मानवता का संदेश देते हैं जबरन धर्म परिवर्तन कराना आदि काल में भी ग़लत था और आज भी ग़लत है। कोषाध्यक्ष अजीत सिंह सलूजा ने गुरु जी की कुर्बानियों को याद रखने एवं आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष किशन राजपाल ने सिखों का इतिहास याद दिलाते हुए कहा कि सरकार द्वारा इतिहास की किताबों में सिख धर्म द्वारा मानवता के लिए किए गये कार्यों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से महामंत्री चरनजीत सिंह, ज्ञान सिंह, दरविंदर सिंह, सतपाल छाबड़ा, अजीत बेदी, ईशूपाल भाटिया, अमित गुप्ता, श्रवण छाबड़ा आदि मौजूद रहे।
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